नई दिल्ली. सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग और कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा दायर आठ मामले, और ईडी का एक समन – कर्नाटक के सीएम पद के लिए जोरदार दावेदारी ठोंक रहे डीके शिवकुमार की राह में ये बड़ा रोड़ा बनते दिख रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि शिवकुमार ने इन सभी मामलों को रद्द करने की याचिका दायर कर रखी है, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में लंबित हैं. उधर सूत्रों ने बताया कि पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने शिवकुमार के खिलाफ इन लंबित मामलों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि उन्हें सीएम नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसियां जल्द ही उनके दरवाजे पर पहुंच सकती हैं और सरकार को संकट का सामना करना पड़ेगा.
हालांकि इन मुकदमों की कानूनी स्थिति पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि शिवकुमार इन मामले को रद्द कराने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं. इनमें से सबसे शुरुआती मामले 2012 के हैं, जिसमें कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने शिवकुमार पर दो मामलों में भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था. तब राज्य में बीजेपी की सरकार थी, लेकिन तीन साल बाद, वर्ष 2015 में हाईकोर्ट ने इन दोनों मामलों को रद्द कर दिया. फिर लोकायुक्त ने वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी, लेकिन विशेष अनुमति याचिका (SLP) को वापस ले लिया गया था. इसके बाद वर्ष 2019 में, उस एसएलपी को बहाल करने के लिए एक याचिका दायर की गई थी – लेकिन अभी तक शिवकुमार को इस संबंध में कोई नोटिस नहीं दिया गया है.
आयकर विभाग को झटका
आयकर विभाग ने वर्ष 2018 में शिवकुमार के खिलाफ चार मामले दर्ज किए थे, जब कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन सरकार चल रही थी. ये मामले जानबूझकर आयकर से बचने की कोशिश और सबूतों को नष्ट करने के आरोप में दर्ज किए गए थे. इनमें से एक मामले में, शिवकुमार ने मामले से मुक्ति के लिए हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर की, लेकिन वर्ष 2019 में इसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद वर्ष 2020 में शिवकुमार सुप्रीम कोर्ट गए और तब शीर्ष अदालत द्वारा आयकर विभाग को नोटिस जारी किया गया था.
वहीं तीन अन्य आयकर मामलों में, शिवकुमार की बड़ी राहत मिल चुकी है, क्योंकि कर्नाटक में सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए विशेष रूप से स्थापित एक विशेष अदालत द्वारा आरोप तय करने से पहले ही उन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया था. आयकर विभाग ने हाईकोर्ट के समक्ष तीनों मामलों में अपील दायर की, जिसे 2021 में उच्च न्यायालय ने भी खारिज कर दिया. आईटी विभाग तीनों मामलों में अपील के लिए 2021 में सुप्रीम कोर्ट गया, जो वर्तमान में निर्णय के लिए लंबित हैं.
ईडी और सीबीआई की असली चिंता
शिवकुमार की असली चिंता ईडी और सीबीआई के मामलों को लेकर है. ईडी ने वर्ष 2018 में उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत बुक किया था और मामला 2022 से दिल्ली की एक विशेष अदालत के समक्ष लंबित है, लेकिन अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं. यह मामला पहले के आयकर मामले से जुड़ा हुआ है, जो उनके खिलाफ चल रहा था. शिवकुमार ने ईडी के केस को कर्नाटक हाईकोर्ट में एक रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी, जिसे वर्ष 2019 में अदालत ने खारिज कर दिया था. इसके बाद, शिवकुमार ने वर्ष 2019 में ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले को चुनौती दी और यह निर्णय लंबित है. इसी मामले में ईडी ने वर्ष 2019 में शिवकुमार को गिरफ्तार किया था, जिसमें उन्हें 50 दिन जेल में बिताने पड़े थे.