जातिगत जनगणना पर RJD और JDU में बवाल जारी है इसी बिच बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र के बावजूद बुलावा न मिलने पर कटाक्ष करते हुए इसे सीएम नीतीश का अपमान करार दिया है. अब उन्होंने स्वंय भी जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा है. हालांकि, राजद नेता तेजस्वी यादव के इस पत्र पर JDU ने पलटवार किया है. JDU नेता ललन पासवान ने तेजस्वी पर चुटीले अंदाज में हमला बोलते हुए कहा कि अभी संसद चल रहा था, इस वजह से प्रधानमंत्री बिजी हो सकते हैं. इस कारण मुलाकात नहीं हो सकी है.
जेडीयू नेता ने कहा कि पीएम मोदी और नीतीश कुमार किसी मुद्दे पर मिलना चाहें और मुलाकात न हो, यह संभव ही नहीं है. जो लोग इस पर चुटकी ले रहे हैं, उनकी मुलाकात तो प्रधानमंत्री से हरदम होती ही रहती होगी. हमारी पार्टी का जातिगत जनगणना पर राय स्पष्ट है और आगे भी यही मत रहेगा. बहरहाल, राजद और जदयू में इस जुबानी आदान-प्रदान के बीच आप जरूर इस बात के लिए उत्सुक होंगे कि आखिर तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में पीएम मोदी को क्या लिखा है? तो आइये हम आपके सामने तेजस्वी का लिखा पूरा पत्र हूबहू प्रस्तुत करते हैं. तेजस्वी ने जो पत्र पीएम मोदी को लिखा है वह यूं है-
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार नई दिल्ली…. देश में समावेशी विकास कार्यों को समुचित गति देने हेतु नीति निर्धारण, बजट आवंटन एवं टीम इंडिया में ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ नारे के अंतर्गत सामूहिक लक्ष्य प्राप्त करने की अपेक्षित प्रगति, तथा वास्तविक जनसंख्या की जानकारी हेतु भारत सरकार द्वारा प्रत्येक 10 वर्षों में जनगणना कराई जाती है. महोदय, वर्ष 2021 में प्रस्तावित जनगणना में युगों- युगो से उत्पीड़ि,त उपहासित, उपेक्षित और वंचित पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना नहीं कराने की सरकार द्वारा संसद में लिखित सूचना दी गई है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
तेजस्वी ने आगे लिखा, पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्ग युगों से अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में यदि अब जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी तो पिछड़ी, अति पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक सामाजिक राजनीतिक व आर्थिक स्थिति का न तो सही आकलन हो सकेगा, न ही उसकी बेहतरी व उत्थान संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा. और, न ही उनकी जनसंख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो पाएगा. महोदय, आज से 90 वर्ष पूर्व जातिगत जनगणना वर्ष 1931 में की गई थी. अब यह समय और बहुसंख्यक आबादी की मांग है कि अविलंब जातिगत जनगणना कराई जाए ताकि विभिन्न जातियों के आंकड़े सामने आ सके.
तेजस्वी ने आगे लिखा, सर्वविदित है कि हमारी मांग और प्रस्ताव पर भारतीय जनता पार्टी सहित बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियों के बिहार विधानसभा में निर्वाचित माननीय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक सर्वसम्मति से एक स्वर में दो बार क्रमशः 18 फरवरी 2019 एवं 27 फरवरी 2020 को जातिगत जनगणना कराने हेतु प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से अनुरोध किया था. केंद्र और बिहार राज्य दोनों जगह एनडीए की ही सरकार है, और एनडीए के सभी दलों के माननीय सदस्यों का भी हमारे इस प्रस्ताव के पक्ष में पूर्ण समर्थन था.
महोदय, वर्ष 2019 में तत्कालीन गृह मंत्री आदरणीय राजनाथ सिंह जी ने देश को वर्ष 2021 में जातीय जनगणना कराने का ठोस आश्वासन दिया था. शायद एक कारण यह भी था कि बिहार की बहुसंख्यक बहुजन आबादी ने राज्य की कुल 40 लोकसभा सीटों में से एनडीए को 39 सीटें जिताने का कार्य किया था. बिहार एवं केंद्र में एनडीए की सरकार है तो स्वाभाविक है कि यहां के सभी लोगों को आपसे जातिगत जनगणना कराने की अपेक्षा है.
मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप बिहार राज्य की जनभावना को ध्यान में रखते हुए बिहार विधानसभा द्वारा समवेत स्वर में पारित ”प्रस्तावित जनगणना 2021 जातिगत आधार पर हो” के आधार पर ही वर्ष 2021 में प्रस्तावित जनगणना के साथ ही जातिगत जनगणना कराने का आदेश संबंधित विभाग- प्राधिकार को देना चाहेंगे.