कहा जाता है कि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होता है, और फर्ज की राहों में बहुत सारी ऐसी चीजें ही लाकर लोगों के सामने सच प्रदर्शित करने का कार्य करता है यह आज से नहीं लंबे वक्त से परंपराएं चली आ रही हैं कि सच का आइना एक पत्रकार हर कठिन वक्त में अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों को बताने का प्रयास करता है उसे उस रास्ते में बहुत बार अच्छे भी लोग मिलते हैं तो बहुत बार बुरे भी लोग मिलते हैं लेकिन जानकर यह ताज्जुब होगा कि एक पत्रकार उस समाज में रहने के साथ-साथ अपने लोगों के लिए कितना सोचता है !
हम यह बात इसलिए कह रहे हैं कि हर जाति, धर्म से हटकर जब कभी रक्तदान करने की बात आती है तो कुछ सच्चे समाजसेवी और पत्रकार ही सामने आता है, जिन्हें लगता है कि यह समाज हम से बना है और हम इन्हें कुछ दे सकते हैं ऐसा ही एक मामला आज भोजपुर आरा के न्यूज टाईम्स7 के पत्रकार शाहनवाज अली के सामने आया तब हर फर्ज को भूल उन्होंने एक महिला के जीवन को बचाने के लिए प्रयासरत हो गए अस्पताल से एक अनजान शख्स का फोन आया कि उन्हें बी पॉजिटिव रक्त की बहुत जरूरत है और कहीं मिल नहीं रहा है जिनका जीवन बचाना बहुत महत्वपूर्ण है !
इन बातों को सुनकर पत्रकार शाहनवाज अली ने अपने आसपास के लोगों से पता करना शुरू किया, जब कहीं भी किसी के द्वारा रक्त का पता नहीं चल पाया तो पत्रकार शाहनवाज अली ने खुद रक्त देने का फैसला किया लेकिन अचानक एक व्यक्ति ने कहा कि मेरा बी पॉजिटिव ब्लड है और मैं देने को तैयार हूं !
आरा के इस रक्त वीर मोहम्मद इजरायल ने बिना इस बात की परवाह किए कि मैं किस कौम को अपना रक्त दे रहा हूं उन्होंने रक्तदान कर एक मिसाल कायम की, और अंत में उन्होंने सभी लोगों से इस बात का अनुरोध भी किया कि जीवन में रक्त बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए हर धर्म के लोगों को बढ़-चढ़कर रक्तदान करना चाहिए बगैर इस बात को सोचे कि वह किस व्यक्ति को रक्तदान कर रहा है!