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2014 में राहुल गांधी के कारण हारी कांग्रेस, उनके नेतृत्‍व में गर्त में गई पार्टी: गुलाम नबी आजाद का बयान ,जानिये क्या कहा

नई दिल्‍ली : वयोवृद्ध कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस के प्राथमिक सदस्‍यता सहित पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. उन्‍होंने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्नों का एक नोट भेजा, जहां उन्होंने पार्टी के साथ अपने लंबे संबंध और इंदिरा गांधी के साथ अपने करीबी संबंधों को याद किया. गुलाम नबी आजाद ने अपने विस्तृत त्याग पत्र में लिखा, कांग्रेस पार्टी की स्थिति ‘नो रिटर्न’ के बिंदु पर पहुंच गई है. इसके साथ ही उन्‍होंने राहुल गांधी को पार्टी के पतन का जिम्‍मेदार ठहराया. कहा कि वरिष्‍ठ नेताओं की अनदेखी की गई और पार्टी को छोड़ने के लिए राहुल गांधी को जिम्‍मेदार बताया.

राहुल ने कांग्रेस के संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया… 
काफी समय से पार्टी से नाराज चल रहे गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को भेजे पत्र में कहा कि निस्संदेह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में आपने यूपीए -1 और यूपीए -2 सरकार के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस सफलता का एक प्रमुख कारण यह था कि पार्टी अध्‍यक्ष के रूप में आपने वरिष्ठ नेताओं के बुद्धिमान परामर्श पर ध्यान देने के अलावा उनके निर्णय पर भरोसा जताया और उन्हें शक्तियां सौंपी. उन्‍होंने पत्र में आगे कहा कि हालांकि दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद और विशेष रूप से जनवरी, 2013 के बाद जब उन्हें आपके द्वारा उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, तो उनके द्वारा पहले मौजूद संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया गया. सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी.वो 8 कारण, क्यों राहुल जाने पर अड़े और कांग्रेसी मनाने पर - congress wants  to quit president post congress leaders wants to retain his post - AajTak

राहुल का अध्‍यादेश फाड़ना 2014 में हार की बड़ी वजह
वह पत्र में आगे लिखते हैं कि इस अपरिपक्वता का सबसे ज्वलंत उदाहरण राहुल गांधी द्वारा मीडिया की चकाचौंध में एक सरकारी अध्यादेश को फाड़ देना था. उक्त अध्यादेश को कांग्रेस कोर ग्रुप में शामिल किया गया था और बाद में भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया था और भारत के राष्ट्रपति द्वारा भी विधिवत अनुमोदित किया गया था. इस ‘बचकाना’ व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार के अधिकार को पूरी तरह से उलट दिया. 2014 में यूपीए सरकार की हार के लिए इस एक ही कार्रवाई ने महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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राहुल के नेतृत्‍व में पार्टी चुनावों में बुरी तरह हारी
उन्‍होंने पत्र में अपना दर्द बयां करते हुए सोनिया गांधी से आगे कहा, 2014 से आपके नेतृत्व में और बाद में राहुल गांधी के नेतृत्व में, कांग्रेस दो लोकसभा चुनावों में अपमानजनक तरीके से हार गई है. 2014-2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से पार्टी केा 39 में हार का सामना करना पड़ा है. पार्टी ने केवल चार राज्यों के चुनाव जीते और छह मामलों में गठबंधन की स्थिति में आने में सफल रही. दुर्भाग्य से, आज कांग्रेस केवल दो राज्यों में शासन कर रही है और दो अन्य राज्यों में बहुत मामूली गठबंधन सहयोगी है.

Ghulam Nabi Azad quits hours after being named as J&K Congress campaign  committee headराहुल के सुरक्षा गार्ड और पीए ले रहे अहम फैसले
वह कहते हैं, 2019 के चुनाव के बाद से पार्टी की स्थिति और खराब हुई है. विस्तारित कार्य समिति की बैठक में पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान करने से पहले राहुल गांधी के ‘आशंक’ में पद छोड़ने के बाद, आपने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया. एक ऐसी स्थिति, जिसे आपने जारी रखा है, पिछले तीन साल से आज भी कायम है. इससे भी बुरी बात यह है कि रिमोट कंट्रोल मॉडल’ जिसने यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को ध्वस्त कर दिया था, अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लागू हो गया है. सभी महत्वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी द्वारा लिए जा रहे थे या बल्कि उनके सुरक्षा गार्ड और पीए द्वारा किए जा रहे थे.

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