वर्ष 1983 में सरकार द्वारा नियुक्त ट्रस्ट द्वारा प्रबंधन संभालने से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के अंतिम सेवारत महंत रहे कुलपति तिवारी ने ज्ञानवापी मस्जिद में एक और शिवलिंग होने का खुलासा किया है तिवारी ने दावा किया कि उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर एक शेल्फ में एक छोटा शिवलिंग देखा था. इसके साथ ही उन्होंने शहर के सक्षम अधिकारियों से इसका पड़ताल करने को कहा था.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, तिवारी ने वर्ष 2014 में खींची गई तस्वीरों को दिखाते हुए कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह शिवलिंग अब भी उस जगह पर मौजूद है या नहीं. मैं सक्षम अधिकारियों से इसे स्पष्ट करने की मांग करता हूं.’
वर्ष 1983 में सरकार द्वारा नियुक्त ट्रस्ट द्वारा प्रबंधन संभालने से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के अंतिम सेवारत महंत रहे तिवारी का दावा है कि उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की दीवारों पर कमल के फूलों और घंटियों के चित्र भी देखे हैं. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर की पिछली दीवार किसी प्राचीन मंदिर की प्रतीत होती है.
तिवारी वहां वुज़ू के तालाब का जिक्र करते हुए दावा करते हैं कि इस तालाब के पीछे नंदी और हनुमान की मूर्ति दिखाई दे रही है, जिसे भगवान शिव ने खुद अपने त्रिशूल से बनाया था. इस तालाब में स्नान करने के बाद देवी पार्वती भगवान विश्वेश्वर (शिव का दूसरा नाम) की पूजा करती थीं.’