उत्तर-पूर्व का रास्ता अब जल्द ही आसान होने वाला है ,मेघालय जाने के लिए भारत के अन्य हिस्सों में रहने वालों को एक नया रेल-मार्ग मिल सकता है. केंद्र इस नए रेल-मार्ग को तैयार करने पर विचार कर रहा है. खास बात यह है कि यह रेल-मार्ग बांग्लादेश से होकर गुजरेगा. बाग्लादेश के तीन स्टेशनों पर रुककर ट्रेन मेघालय पहुंचेगी.
हाल ही में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की कटिहार डिवीजन (यह क्षेत्र भारतीय रेलवे के पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जोन के अंतर्गत आता है) ने रेलवे बोर्ड के समक्ष एक प्रस्ताव भेजा है. उसमें इस परियोजना के लिए अनुमति मांगी गई है. कई सालों से मेघालय का एक गैर राजनीतिक संगठन ‘ज्वाइंट मूवमेंट कमेटी फॉर कॉरिडोर’ (JMCC), दक्षिण दिनाजपुर के हिल्ली को रेल-मार्ग के ज़रिए भारत-बांग्लादेश की सीमा पर स्थित मेघालय के तूरा जिले के महेन्द्रगंज से जोड़ने की मांग कर रहा है.
इस समिति के प्रमुख नाबा कुमार दास का कहना है कि यह रेल-मार्ग रणनीतिक और आर्थिक दोनों स्तर पर अहमियत रखता है. वर्तमान में किसी को अगर सिलिगुड़ी के रास्ते दक्षिण दिनाजपुर होते हुए तूरा पहुंचना है तो उसे 600 किमी का सफर तय करना होता है. लेकिन अगर यह मार्ग तैयार हो जाता है तो यह दूरी घट कर 120 किमी रह जाएगी. दास के मुताबिक, ‘लगता है केंद्र सरकार ने हमारी मांग को मंजूरी दे दी है. यह अच्छी बात है.’
वे बताते हैं, ‘साल 2017 में विदेश मंत्रालय ने प्रस्तावित रूट का सर्वेक्षण कराया था. उसी के आधार पर प्रस्ताव भेजा गया है. इसके अनुसार ये रेल-मार्ग हिल्ली से बांग्लादेश में प्रवेश करेगा. वहां के उत्तरी क्षेत्र में गायबंधा, पलाशबाड़ी और घोड़ाघाट से गुजरेगा. इस दौरान यह जमुना (बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र का नाम) पर प्रस्तावित ब्रिज के जरिए तूरा के महेन्द्रगंज से जुड़ जाएगा.’
परियोजना पर 7,000 करोड़ रुपए की लागत
प्रस्ताव के मुताबिक, इस परियोजना में करीब 7,000 करोड़ की लागत लगने का अनुमान है इसमें जमुना पर बनने वाला ब्रिज और हिल्ली पर तैयार किया जाने वाला ओवरब्रिज भी शामिल है. इस परियोजना को लेकर नाबा दास जेएमसीसी (JMCC) के अन्य सदस्यों के साथ हिल्ली में जीरो प्वाइंट पर बांग्लादेश के एक प्रतिनिधिमंडल से मिले. उन्होंनें बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मिलने के लिए भी समय मांगा है. ताकि वह उन्हें इस परियोजना से जुड़ी जानकारी दे सके और चूंकि यह मार्ग बांग्लादेश से होकर गुजरेगा तो उनसे ज़रूरी मदद के लिए गुजारिश की जा सके.
उत्तर-पूर्व को शेष भारत से जोड़ने वाला एक ही रेल-मार्ग
एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी के मुताबिक, ‘वर्तमान में उत्तर-पूर्व को शेष भारत से जोड़ने वाला केवल एक ही रेल-मार्ग है. यह न्यू जलपाइगुड़ी, न्यू कूच बिहार, न्यू अलीपुरद्वार से होते हुए असम में प्रवेश करता है. हालांकि उत्तर-पूर्व के राज्यों को आपस में जोड़ने वाले कई रेल-मार्ग हैं. शेष भारत से इस क्षेत्र को जोड़ने वाला मार्ग एक ही है. जबकि इस क्षेत्र का रणनीतिक महत्व बहुत है. ऐसे में यह दूसरा रेल-मार्ग बेहद जरूरी है, जो लाभदायक भी साबित होगा.”