ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनी को चुनौती देने के लिए केंद्र सरकार एक बडी योजना पर काम कर रही है. मोदी सरकार जल्द ही एक ओपन टेक्नोलॉजी नेटवर्क (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) ला रही है, जहां छोटे व्यापारी और उपभोक्ता सब कुछ खरीद और बेच सकते हैं. सरकार की इस योजना को मूर्त रूप देने का काम कर रहे हैं इंफोसिस के सह-संस्थापक और गैर-कार्यकारी अध्यक्ष नंदन नीलेकणि. बताया जा रहा है कि इस नेटवर्क से अमेजन और फ्लिपकार्ट को कड़ी टक्कर मिलेगी. गौरतलब है कि इन दोनों का ही देश के ऑनलाइन खुदरा बाजार के 80 फीसदी हिस्से पर कब्जा है.
नीलेकणि का कहना है, ‘यह (डिजिटल वाणिज्य के लिए खुला नेटवर्क) एक विचार है, जिसका अब समय आ गया है. डिजिटल कॉमर्स के नए उच्च-विकास क्षेत्र में हिस्सा लेने के लिए हम लाखों छोटे विक्रेताओं के ऋणी हैं. इसमें सरकार को आधार बायोमेट्रिक आईडी सिस्टम विकसित करने में मदद मिली है.’ ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पालो ऑल्टो स्थित वेंचर कैपिटल फर्म जनरल कैटलिस्ट के मैनेजिंग पार्टनर हेमंत तनेजा ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद नीलेकणि इस काम के लिए बिल्कुल सही व्यक्ति हैं. तनेजा ने आगे कहा कि नंदन अपनी दूरगामी सोच के लिए जाने जाते हैं और वे इस योजना को जरूर कामयाब बनाएंगे
नीलेकणि उस नौ सदस्यीय सलाहकार परिषद का हिस्सा हैं, जो डिजिटल कॉमर्स के लिए बनाए गए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) को अपनाने के लिए आवश्यक उपायों पर भारत सरकार को सलाह देगी. नीलेकणि का कहना है, ‘हम एक नया पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं, जिसका लक्ष्य ई-कॉमर्स गेम के नियमों को बदलना है.
ओपन नेटवर्क क्या है?
ओएनडीसी ओपन प्रोटोकॉल पर आधारित एक ओपन टेक्नोलॉजी नेटवर्क है और यह मोबिलिटी, ग्रॉसरी, फूड ऑर्डर और डिलीवरी, होटल बुकिंग और ट्रैवल जैसे सेगमेंट में लोकल कॉमर्स को किसी भी नेटवर्क-सक्षम एप्लिकेशन द्वारा खोजा जा सकता है. यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) की एक पहल है.
पहले इन 5 शहरों में शुरू होगा नेटवर्क
नया नेटवर्क बहुत जल्द पांच शहरों – दिल्ली, बेंगलुरु, कोयंबटूर, भोपाल और शिलांग में चुनिंदा उपयोगकर्ताओं के लिए शुरू किया जाएगा. डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने कहा, ‘हमने पांच शहरों की पहचान की है, क्योंकि हम पूरे बोर्ड में एक भौगोलिक फैलाव रखना चाहते थे. इन पांच शहरों में हमारा ट्रेडर बेस है, जो ओएनडीसी पर लेनदेन की पेचीदगियों को समझ सकता है.’