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WHO के 40 लाख लोगों के जान जाने के जारी किये हुए आकड़े पर भड़की भारत सरकार ?

WHO के उस तरीके पर सवाल उठाए हैं जिसके जरिए देश में कोविड 19 की वजह से होने वाली मौतों का अनुमान लगाया जाता है. भारत की ओर से कहा गया है कि डब्लूएचओ द्वारा अपनाए गए गणित मॉडल को इतने विशाल देश और उसकी आबादी के लिए लागू नहीं किया जा सकता. 16 अप्रैल को न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित लेख पर आपत्ति जताते हुए देश के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डब्लूएचओ की प्रक्रिया प्रक्रिया पर चिंता जताई है.

इस मुद्दे पर भारत की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) से लगातार गंभीर बातचीत होती आ रही है. मंत्रालय का कहना है संगठन जो विश्लेषण  टियर-1 (Tier-1) देशों के संबंध में करता है, वही प्रक्रिया प्रक्रिया, टियर-2 (Tier-2) देशों के लिए भी अपनाई जाती है, जिसमें भारत जैसा विशाल देश भी शामिल है.

बयान में कहा गया है, ‘भारत की आपत्ति नतीजों से नहीं है बल्कि उसके लिए अपनाई गई कार्य-पद्धति से है. टियर-1 देशों के डाटा और भारत के 18 राज्यों के असत्यापित डाटा के इस्तेमाल से मृत्यु के आंकड़े के जो दो अनुमान निकाले गए हैं, वह बेहद भिन्न हैं और जरूरत से ज्यादा है. अनुमान में इतने फर्क की वजह से ही कार्य-पद्धति पर चिंता जताई जा रही है’.

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Emergency Coronavirus, the WHO declares this is a pandemic

भारत सरकार की आशंका
मंत्रालय के अनुसार भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर कई बार इस कार्य पद्धति को लेकर औपचारिक संपर्क किया है जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखी छह चिट्ठियां शामिल हैं. ये चिट्टियां 17 नवंबर 2021,  20 दिसंबर 2021, 28 दिसंबर 2021, 11 जनवरी 2022, 12 फरवरी 2022 और 2 मार्च 2022 को लिखी गई थीं. वहीं 16 दिसंबर 2021, 28 दिंसबंर 2021, 6 जनवरी 2022 और 25 फरवरी 2022 वर्जुअल बैठक हुई थी. एसईएआरओ की क्षेत्रीय वेबिनार 10 फरवरी 2022 को हुआ था. इस दौरान भारत ने चीन, ईरान, बांग्लादेश, सीरिया, इथियोपिया और मिस्र के साथ मिलकर अपने सवाल सामने रखे थे.WHO to believe: As imperfect as the World Health Organization may be, the  U.S. needs a seat at the table during a pandemic - New York Daily News

 भारत सरकार ने रखा अपना पक्ष
बयान में कहा गया कि सवाल किए गए थे कि किस तरह ये सांख्यिकी मॉडल भारत जैसे विशाल देश का अनुमान लगाता है और किस तरह यही तरीका कम आबादी वाले देश के लिए भी फिट बैठ सकता है. जरूरी नहीं कि ट्यूनीशिया जैसे देश के लिए जो मॉडल फिट बैठे, वो सौ करोड़ से ज्यादा आबादी वाले भारत देश के लिए भी सही ही हो. मंत्रालय ने कहा कि अगर मॉडल सही और भरोसेमंद है तो क्यों न इसे सभी टिअर-1 देशों पर भी अपनाया जाए और उसके नतीजों को बाकी सदस्य देशों के साथ साझा किया जाए.

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WHO Council on the Economics of Health For Allइस मॉडल में मासिक तापमान और मासिक औसत मौतों के बीच विपरीत संबंध दिखाया गया है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. भारत के हर राज्य में मौसम का अपना एक अलग पैटर्न होता है. सरकार की ओर से कहा गया कि यही वजह है कि इन 18 राज्यों के असत्यापित डाटा को आधार बनार राष्ट्रीय स्तर के मृत्यु दर का अनुमान लगाना सांख्यिकी रूप से गलत हो सकता है.

भारत में उम्र और लिंग के आधार पर मृत्यु दर देखने के लिए इस संगठन ने सत्यापित डाटा वाले 61 देशों के उम्र और लिंग के तय मानकों को आधार बनाया. और फिर उसे भारत समेत अन्य देशों पर भी लागू कर दिया, जिससे भारत को आपत्ति है. वहीं आय को लेकर भी जो मानक तय किए गए हैं, वो भी भारत सरकार की नजर में एक ही लाठी से बैल हांकने जैसा है.

डब्लूएचओ ने क्या कहा
वहीं डब्लूएचओ का कहना है कि इन बिंदुओं को आधार बनाकर 90 देशों के सैंपल में जनवरी  2020 से जून 2021 तक के बीच का मृत्यु दर काफी हद तक सटीक आया है. हालांकि बताया गया है कि ये किस तरह सटीक है.  इसके पीछे का जवाब संगठन द्वारा फिलहाल नहीं दिया गया है.What Does The World Health Organization Do? - The New York Times

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भारत का मामला अलग क्यों है?
बयान में कहा गया है कि भारत में कोविड पॉजिटिव दर कभी भी एक जैसी नहीं रही. लेकिन दर में इस तरह के बदलाव को मॉडल में किसी तरह की जगह नहीं दी गई है. यही नहीं, भारत ने कोविड टेस्ट को तभी तेज़ कर दिया था जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सलाह भी नहीं दी थी. इसी तरह स्कूल और दफ्तर बंद करने से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रम बंद करने जैसे कदमों के असर को भारत जैसे देश में मापना मुश्किल है जहां नियमों को लेकर सख़्ती हर राज्य में अलग-अलग थी.

मंत्रालय की ओर से ये भी कहा गया है कि भारत, डब्लूएचओ के साथ मिलकर काम करने के लिए बिल्कुल तैयार है क्योंकि इस तरह के आंकड़े नीतिगत स्तर पर बेहद मददगार साबित होते हैं. लेकिन भारत चाहता है कि इस प्रक्रिया को लेकर हर तरह की पारदर्शिता और इसके सही होने के सबूत की आवश्यकता है ताकि नीति निर्माता बिना झिझक इसका इस्तेमाल कर सकें. साथ ही ये भी कहा गया कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत के संदर्भ में कोविड से होने वाली मौतों के कथित आंकड़े तो जुगाड़ लिए लेकिन अन्य देशों के बारे में अभी तक कुछ नहीं जान पाया.

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