सपा प्रमुख अखिलेश के खिलाफ उठ रही बगावत की आवाज अब तेज हो चुकी है अभी तक अखिलेश यादव से नाराज चल रहे चाचा शिवपाल सिंह यादव ने मोर्चा खोल रखा था अब पार्टी के दूसरे नेता भी उसमें शामिल हो गए हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम आजम खान का है। तो क्या आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान भी समाजवादी पार्टी छोड़ सकते हैं।
ये कयास इसलिए क्योंकि एक दिन पहले ही आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां ने बड़ा बयान दे दिया। इसमें उन्होंने कहा कि क्या यह मान लिया जाए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सही कहते हैं कि अखिलेश जी आप नहीं चाहते कि आजम खां जेल से बाहर आएं? हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे कपड़ों से बदबू आती है।
पहले जान लीजिए फसाहत ने और क्या कहा?
दरअसल आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां रविवार को रामपुर में एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इसमें उन्होंने आजम खान का जिक्र किया। कहा कि जेल में बंद आजम खां के जेल से बाहर न आने की वजह से हम लोग सियासी रूप से यतीम हो गए हैं। हम कहां जाएंगे, किससे कहेंगे और किसको अपना गम बताएं?
हमारे साथ तो वो समाजवादी पार्टी भी नहीं है, जिसके लिए हमने अपने खून का एक-एक कतरा बहा दिया। हमारे नेता मोहम्मद आजम खां ने अपनी जिंदगी सपा को दे दी, लेकिन सपा ने आजम खां के लिए कुछ नहीं किया। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे कपड़ों से बदबू आती है।
मुसलमानों की तरफ इशारा करते हुए फसाहत ने कहा कि क्या सारा ठेका अब्दुल ने ले लिया है? वोट भी अब्दुल देगा और जेल भी अब्दुल जाएगा? अब्दुल बर्बाद हो जाएगा। घर की कुर्की हो जाएगी। वसूली हो जाएगी और राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुंह से एक शब्द नहीं निकलेगा। हमने आपको और आपके वालिद को मुख्यमंत्री बनाया। हमारे वोटों की वजह से आपकी 111 सीटें आई हैं। आपकी तो जाति ने भी आपको वोट नहीं दिया। लेकिन, फिर भी मुख्यमंत्री आप बनेंगे और नेता विपक्ष भी आप बनेंगे। कोई दूसरा नेता विपक्ष भी नहीं बन सकता। आपने भाजपा से हमारी दुश्मनी करा दी और सजा भी हमें मिल रही है, लेकिन मजे आपको मिल रहे हैं।
आपके मुंह से विधानसभा और लोकसभा में एक भी शब्द नहीं निकला। आप एक बार ही आजम खां से जेल में मिलने के लिए पहुंचे हैं, दूसरी बार मिलने तक की जहमत नहीं उठाई। क्या यह मान लिया जाए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो कहा है कि अखिलेश जी आप नहीं चाहते कि आजम खां जेल से बाहर आएं। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय सिंह कहते हैं, आजम खान के समाजवादी पार्टी छोड़ने की चर्चा में फिलहाल दम नहीं है। हां, अगर अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए वह ऐसा फैसला लेते हैं तो उनके सामने तीन विकल्प हैं।
1. बसपा : विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को बुरी हार मिली है। लेकिन सबसे ज्यादा मुसलमानों को टिकट देने में मायावती आगे रहीं। चुनाव हारने के बाद मायावती ने दुख भी जाहिर किया। कहा कि मुसलमान अगर बसपा का साथ देते तो भाजपा को हराया जा सकता था। उन्होंने दलित-मुसलमान गठजोड़ की बात भी कही। ऐसे में हो सकता है कि आजम खान इस दलित-मुसलमान गठजोड़ को 2024 में आजमाना चाहें। हालांकि, बसपा में आजम खान के जाने की कम उम्मीद है। ऐसा इसलिए क्योंकि आजम खान खुलकर मायावती का विरोध करते रहे हैं।
2. कांग्रेस : राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी खुलकर बोलते रहे हैं। इसके लिए उन्हें फजीहत भी झेलनी पड़ी है। ऐसे में आजम खान कांग्रेस का हाथ पकड़कर 2024 में मुसलमानों को एकजुट करने के लिए चाल चल सकते हैं। पार्टी भी आजम को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। हालांकि, कांग्रेस के साथ निगेटिव पॉइंट ये है कि इनका यूपी में अब कोई खास जनाधार नहीं बचा है।
3. एआईएमआईएम : मुसलमानों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इकलौती पार्टी है। ओवैसी खुलकर योगी-मोदी का विरोध करते आए हैं। मुसलमानों में भी ओवैसी भाईयों के लिए क्रेज है। अगर ओवैसी और आजम खान एक होते हैं तो मुसलमान एकजुट होंगे। इसका फायदा एआईएमआईएम और आजम दोनों को ही मिलेगा। हालांकि, ऐसा करने से आजम की राजनीतिक पहचान खत्म होने की संभावना है। ओवैसी बंधु हावी रहेंगे, जबकि आजम पीछे हो सकते हैं।