बिहार में कोरोना के बाद वायरल फीवर का कहर जारी है, राजधानी पटना समेत सुबे के विभिन्न जिलों में इन दिनों वायरल फ्लू से पीड़ित होकर बच्चे बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं. वायरल फ्लू से पीड़ित बच्चों में 5% बच्चे गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं, और उनमें निमोनिया की शिकायत देखी जा रही है.
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हालांकि कुशल चिकित्सकों की देखरेख में गंभीर रूप से बीमार बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर भी लौट रहे हैं. पटना सिटी के अगमकुआं स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग में 80 बच्चे भर्ती हैं, जिसमें कुछ बच्चे गंभीर निमोनिया से पीड़ित हैं. उनका नीकु और पीकू में इलाज चल रहा है. अस्पताल के अधीक्षक और शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार सिंह ने इसे वायरल फ्लू बताते हुए लोगों से इससे नहीं घबराने की भी अपील की है.
अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि 95% बच्चे वायरल फ्लू से पीड़ित हैं, जो अगले चार-पांच दिनों में बिल्कुल स्वस्थ हो जाएंगे. हालांकि उनका कहना था कि 2 से 5% बच्चे गंभीर निमोनिया से पीड़ित हैं, जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है. अस्पताल अधीक्षक ने शिशु रोग विभाग को सभी संसाधनों से लैस किए जाने की बात दोहराते हुए किसी भी आपात स्थिति से निपटने को लेकर पूरी तरह तैयार रहने की भी बातें दुहराईं.
अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि शिशु रोग विभाग में कुल 84 बेड उपलब्ध है, जिनमें 80 बच्चों का इलाज चल रहा है. अस्पताल अधीक्षक का कहना था कि एनएमसीएच बिल्डिंग में बच्चों के लिए 42 बेड आरक्षित है, मरीजों की संख्या बढ़ने पर बच्चों को एमसीएच बिल्डिंग में भर्ती किया जाएगा. अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में भर्ती निमोनिया से पीड़ित 18 बच्चों की कोरोना आरटीपीसीआर जांच में सभी की रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई है. उनका कहना था कि निमोनिया का कोरोना से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है.
अस्पताल अधीक्षक ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर आने की काफी कम संभावना जताते हुए कहा कि अगर तीसरी लहर आएगी तो उसका प्रभाव पहले और दूसरे लहर की अपेक्षा में काफी कम होगा. उनका कहना था कि बिहार के 65 फ़ीसदी लोग आईआईजी कोविड-पॉजिटिव हो चुके हैं, ऐसे में कोरोना की संभावित तीसरी लहर का उनपर कोई विशेष असर नहीं होगा.