News Times 7
ब्रे़किंग न्यूज़

अपराध मुक्त 2005 से 2010 वाले कार्यकाल को फिर दोहरा सकते है नितीश कुमार , हो रही है तैयारी, जाने पूरा मामला

बिहार के इतिहास में नितीश कुमार के पुरे कार्यकाल में अपराध मुक्त काल कार्यकाल की बात करे तो २००५ से २०१० कार्यकाल शानदार रहा था ,जंगलराज के भ्रम को तोड़ते हुए हजारो की संख्या में अपराधियों को जेल भेज कर सजा दिलाई गई, मंगलवार को नीतीश कैबिनेट की बैठक में पुलिस जांच से जुड़े मामलों की मॉनिटरिंग के लिए ‘इन्वेस्टीगेशन मॉनिटरिंग सेल’ के गठन का फैसला लिया गया है. पुलिस मुख्यालय स्तर पर इन्वेस्टीगेशन मॉनिटरिंग सेल (Bihar Police Investigation Monitoring Cell) का गठन होगा. ये मॉनिटरिंग सेल अपराध की जांच और उसकी प्रगति पर नजर रखेगा. मॉनिटरिंग सेल के लिए 69 पदों के सृजन को मंजूरी दी गई है. इन पदों में पुलिस अधीक्षक का एक पद, पुलिस उपाधीक्षक का सात पद, पुलिस निरीक्षक का 13 पद, आशु लिपिक सहायक अवर निरीक्षक के आठ पद, कंप्यूटर संचालक के 21 पद, सिपाही 11 पद और चालक सिपाही आठ पद यानी कुल 69 पद होंगे.बिहार चुनाव : जदयू ने जारी किया 'निश्चय पत्र ' 2020 - Rajasthann Live Hindi News

नीतीश कैबिनेट का यह फैसला आपको बाकी फैसलों की तरह साधारण लगे, लेकिन इस फैसले के पीछे दरअसल नीतीश का वो पुराना फॉर्मूला है, जिसके कारण अपने पहले कार्यकाल (2005 से 2010) में नीतीश ने अपराध पर काबू पाया था और क्राइम कंट्रोल उनका यूएसपी कहा जाने लगा. इसे समझने के लिए कुछ पुराने आंकड़ों को खंगालना होगा. दरअसल, यही नीतीश कुमार 2010 में थे, जिनकी पहल पर महज 3 सालों में 30 हजार से ज्यादा बड़े और छोटे अपराधियों को सज़ा दिलाई गई थी, जो एक रिकार्ड था. तब डीजीपी रहे अभयानंद को सीएम नीतीश ने अपराधियों पर लगाम कसने का टास्क दिया और उन्होने कानून का खौफ पैदा करने के आपराधिक मामलों की जांच में तेजी लाने और अपराधियों को सज़ा दिलाने में तेजी लाने के लिए मुख्यालय से लेकर निचले स्तर पर अधिकारियों को लगाया.अपराध मुक्त जमुई हमारी प्राथमिकता : प्रमोद – Daily Bihar

2010 में बना था अनोखा रिकॉर्ड
तब सीएम नीतीश ने सत्ता में आते ही अपराधियों को तुरंत सजा दिलाने के लिए जनवरी 2006 में स्पेशल कोर्ट का गठन किया था. 2010 में सबसे ज्यादा 14 हजार 311 अपराधियों को स्पीडी ट्रायल के तहत सजा दिलाई गई थी. इसका असर भी दिखा और अपराधियों के मन में कानून का खौफ पैदा हुआ, लेकिन अपने दूसरे और मौजूदा कार्यकाल में धीरे-धीरे नीतीश की यह पहल कमजोर पड़ती गई और क्राइम ग्राफ में इजाफा होता गया. 2010 में जहां सबसे ज्यादा 14 हजार 311 अपराधियों को स्पीडी ट्रायल के तहत सजा दिलाई गई थी, वहीं 2018 आते-आते यह संख्या आधे से भी कम हो गई. अंतिम उपब्लध आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में सिर्फ 5 हजार 926 अपराधियों को ही सज़ा दिलाई जा सकी जबकि अपराध के आंकड़ों में 2010 के मुकाबले 2018 में दोगुने से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.

Advertisement

शराबबंदी कानून का सच
साल 2010 में जहां संज्ञेय अपराध के 1 लाख 37 हजार 572 मामले दर्ज किए गए, वहीं 2018 में संज्ञेय अपराध के 2 लाख 62 हजार 802 मामले दर्ज किए गए. वहीं, अपराधियों को सजा दिलाने की रफ्तार सुस्त पड़ गई. एक और उदाहरण शराबबंदी कानून के तहत दर्ज मामले भी हैं. 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद महज 0.13 प्रतिशत कन्विक्शन रेट के साथ 5 सालों में 3 लाख 39 हजार 401 गिरफ्तारियों में सिर्फ 470 को सजा मिली, यानी महज औसतन हर साल 94 अभियुक्तों को सजा मिली.बिहार विधानसभा चुनाव 2020: नीतीश कुमार क्यों नहीं लड़ते चुनाव? | Bihar ssembly election 2020 ljp targets nitish kumar | TV9 Bharatvarsh

इस साल अपराध के मामले में टॉप पर है राजधानी
साफ है नीतीश के पहले कार्यकाल में जिस तेजी से आपराधिक मामलों की जांच और अपराधियों को सज़ा दिलाई जाती थी, वो तेजी गायब होती गई और अपराधियों और शराब माफियाओं के हौसले बुलंद होते गए. अपराधियों को लगने लगा कि गिरफ्तारी होगी भी तो तुरंत सजा मिलेगी नहीं और जमानत पर छूट जाएंगे, होता भी यही है. इसका असर क्राइम ग्राफ में बढ़ोतरी में भी दिखा. हाल ही में बिहार पुलिस की ओर से इस साल के शुरुआती तीन महीने के ही आंकड़े को देखें, तो जनवरी से मार्च 2021 में राजधानी पटना मर्डर और चोरी मामलों में पूरे बिहार में टॉप पर रहा. इन तीन महीनों में पटना में 40 मर्डर हुए, जबकि चोरी की 157 वारदातें हुईं जबकि रेप की वारदातों में पूर्णिया अव्वल रहा जबकि 47 लूट के मामलों के साथ मधेपुरा टॉप पर रहा.नीतीश कुमार करें तो ठीक, चिराग करें तो गलत कैसे ? | bihar political crisis ljp If Nitish Kumar does it right then how is chirag paswan done wrong - Hindi Oneindia

फिर से दिखेगा असर!
जाहिर है बढ़ते क्राइम ग्राफ पर काबू पाने के लिए जरूरी था अपराधियों के मन में एक बार फिर कानून का खौफ पैदा करना. इसके लिए जरूरी था क्राइम कंट्रोल का वही पुराना फार्मूला अपनाना, जिसके तहत आपराधिक मामलों की जांच में तेजी आए और अपराधी जल्द से जल्द सलाखों के पीछे जाएं. यही वजह है कि सीएम नीतीश ने पुलिस मुख्यालय स्तर पर ‘इन्वेस्टीगेशन मॉनिटरिंग सेल’ के गठन का फैसला लिया है. यानी आने वाले दिनों में आपराधिक मामलों की जांच में तेजी आएगी और बाहर घूम रहे अपराधी सलाखों के पीछे होंगे

Advertisement
निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए बिहार ,UP, MP के हर जिले से रिपोर्टर आमंत्रित हैं!
बायोडाटा वाट्सऐप करें –  9142802566 ,   1Newstimes7@gmail.com
Advertisement

Related posts

डुमराँव से पूर्व विधायक ददन पहलवान पर ED का शिकंजा, अवैध संपत्तियों को निवेश कर सफ़ेद बनाने की कोशिश ,मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज

News Times 7

सीएए 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित किए जाने की संभावना

News Times 7

फ्यूचर गेमिंग कंपनी 1,368 करोड़ रुपयों के साथ चुनावी बॉण्ड की सबसे बड़ी खरीदार

News Times 7

Leave a Comment

टॉप न्यूज़
ब्रेकिंग न्यूज़