विगत कुछ महीनों पहले सचिन पायलट अशोक गहलोत से काफी नाराज चल रहे थे जिसे लेकर पायलट समर्थकों ने गहलोत से दूरी बनानी शुरू कर दी खबर इस हद तक आने लगी की पायलट एक नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं या अपने khaini के विधायकों के साथ भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं किसी भी तरीके से मान मनोबल के बाद पायलट पुणे गहलोत के साथ एक नए रिश्ते की शुरुआत करते हुए दोबारा Sarkar को सुचारू किए लेकिन ठीक 1 साल बाद फिर से गहलोत और पायलट का चैप्टर शुरू हो गया या यूं कहें कि राजस्थान की राजनीति में फिर से पुथल पुथल शुरू हो गई यह पहला वाक्य नहीं है इससे पहले भी वर्चस्व की जंग राजस्थान की राजनीति में रही है,
असल में एक साल पहले बनी कांग्रेस की तीन सदस्यीय सुलह कमेटी की अब तक रिपोर्ट नहीं आने पर फिर विरोध के सुर उठने शुरू हो गए हैं. सचिन पायलट ने उनसे किए गए वादे पूरे नहीं होने पर नाराजगी जताई है. अब राजस्थान में एक बार फिर से गहलोत बनाम पायलट का नया चैप्टर शुरू हो गया है. 11 जून को पिता राजेश पायलट की जयंती के दिन दौसा में सचिन पायलट अपनी ताकत दिखाएंगे, वहीं सीएम अशोक गहलोत इसी दौरान विधायकों की बाड़ेबंदी करा सकते हैं
पायलट 11 जून को दिखा सकते हैं ताकत
11 जून को दौसा में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की जंयती है. पायलट समर्थक विधायक कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले विधायको की संख्या से पायलट शक्ति प्रदर्शन करेंगे. पिछले साल 11 जून को ही राजेश पायलट की जंयती कार्यक्रम से पायलट समर्थक विधायक सीधे मानेसर पहुंचे थे. पायलट ने नाराजगी का संदेश सोनिया गांधी तक पहुंचा दिया है. अगर हाईकमान की ओर से सुलह का कोई न्यौता आता है तो पायलट समर्थकों के साथ दिल्ली कूच कर सकते हैं.
एक योजना ये भी है कि पायलट समर्थक विधायकों के हस्ताक्षर के साथ गहलोत से नाराजगी का पत्र सोनिया गांधी को सौंपे. बताया जा रहा है कि पायलट, गहलोत समर्थक कुछ विधायकों से भी संपर्क में हैं. पायलट चाहते हैं कि भले ही सरकार में शामिल न हो, लेकिन पार्टी की कमान या तो राज्य में उन्हें मिले या कद गहलोत के बराबर करने का कोई फॉर्मूला पार्टी निकाले.
पायलट चाहते हैं कि पार्टी हाईकमान गहलोत मंत्रीमंडल का विस्तार कर उनके गुट को भी उतना ही वेटेज दें, जिससे सत्ता संतुलन बराबर रहे. उनके गुट के नए और हटाए गए नेताओं को मंत्री बनाएं. राजनीतिक नियुक्तियों का फैसला हो और उनके समर्थकों को समान अनुपात में राजनीतिक नियुक्तियां मिले.
पायलट की पहली कोशिश है कि पार्टी उनके कद के सम्मान का फॉर्मूला खोजे और अगले चुनाव में उनकी भूमिका पर ठोस बात करे. अगर पार्टी ने सुलह की कोशिश नहीं तो पायलट फिर अलग विकल्प के बारे में विचार कर सकते हैं. अपना अलग मोर्चा बनाने पर विचार कर सकते हैं. पूर्वी राजस्थान में सचिन पायलट की अच्छी पकड़ है. गहलोत सरकार पर राजनीतिक दबाब बनाने के लिए विधायकों की लामबंदी लगातर कोशिश कर रहे हैं.
CM गहलोत की पायलट की हर गतिविधि पर नजर
गहलोत गुट का पूरा फोकस 11 जून को राजेश पायलट की जंयती पर है. इस पर भी नजर है कि कितने विधायक जाते हैं. राजेश पायलट की जंयती के दिन सचिन पायलट का शक्ति प्रदर्शन रोकने के लिए 11 जून को ही महंगाई के खिलाफ पेट्रोल पंपों पर प्रदर्शन का ऐलान किया है. सभी विधायकों और नेताओं को इसमें शामिल होने को कहा गया है. 11 जून को राजस्थान की बॉर्डर सील कर सकते हैं, जिससे पायलट समर्थक विधायकों को राज्य से बाहर न जा सकें.
भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाने की कोशिश की जा रही है जिससे पायलट के साथ विधायकों के जाने पर सरकार पर संकट न हो. पद का लालच देकर पायलट समर्थक कुछ विधायकों को तोड़ा जा रहा है. पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और पीआर मीणा पाला बदलकर गहलोत गुट में आ गए. जरूरत पड़ने पर बाड़ेबंदी की भी तैयारी है. गहलोत, पायलट से कोई समझौता नहीं करना चाहतें हैं, न ही सत्ता या संगठन में बराबर की भागीदारी देने को तैयार हैं. गहलोत हाईकमान को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि पायलट के जाने पर पार्टी को नुकसान नही होगा.
चर्चा ये भी: पायलट चल सकते हैं मंत्रीमंडल विस्तार का दांव
कांग्रेस में असंतोष और आपसी खींचतान को कंट्रोल करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अगले महीने मंत्रिमंडल विस्तार का दांव चल सकते हैं. इसके तहत सचिन पायलट खेमे के 3 से 4 विधायकों को मंत्री बनाकर कोल्ड वॉर पर कुछ समय के लिए विराम लगाया जा सकता है. मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष की जुलाई में नियुक्ति होते ही पूरा किए जाने के आसार हैं.
राजस्थान में 30 मंत्री बनाने का कोटा है, अभी मुख्यमंत्री सहित 21 मंत्री हैं, ऐसे में 9 मंत्री और बनाए जा सकते हैं. पायलट खेमे से 3 से 4 विधायकों को मंत्री बनाने के अलावा BSP छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए 6 में से 2 विधायकों को भी मंत्री बनाया जा सकता है. कांग्रेस और निर्दलियों में से भी कुछ नए चेहरों को मौका मिलने के आसार हैं.