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उत्तर प्रदेश में गहराता जा रहा है कि ब्लैक फंगस का खतरा 54 की निकाली गई आंखें ,वही 80 की मौत

कोरोना का कहर अभी देश में थमा नहीं है कि तुरंत ही ब्लैक फंगस की जड़ें मजबूत होने लगी है उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस की वजह से अब तक 54 लोगों की आंखें निकाली जा चुकी है वहीं इसकी वजह से 80 लोगों की जान जा चुकी है ब्लैक फंगस का गहराता खतरा आने वाले समय में खतरे की घंटी बनता जा रहा है, Number of Black fungus patients is increasing rapidly after COVID-19अब तक मरीजों की संख्या एक हजार के करीब पहुंच गई है। 54 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी हैं, जबकि 80 लोगों ने जान गंवा दी है। दावों के विपरीत हकीकत यह है कि अब तक इसका मुकम्मल इलाज ठीक से शुरू नहीं हो सका है। बड़े शहरों में तो तत्काल इलाज मिल भी रहा है, लेकिन छोटे शहरों से मरीजों को सिर्फ रेफर किया जा रहा है। जब तक वह हायर सेंटर पहुंच रहे हैं तबतक हालत बिगड़ चुकी होती है। दवाएं और इंजेक्शन न मिलने की शिकायतें भी कई जगह से मिल रही हैं।

इंजेक्शन के इंतजार में चली गई जान
गाजियाबाद के एक मरीज में तीनों ही फंगस के लक्षण थे। उसे बचाने के लिए इंजेक्शन की जरूरत थी, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल सका और उसकी मौत हो गई। इलाज वक्त पर नहीं मिल रहा है इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि शाहजहांपुर में 5 मरीज मिले थे लेकिन जब तक वह रेफर होकर बड़े शहर पहुंचते दो मरीजों की मौत हो गई। इसी तरह पीलीभीत में तीन ही मरीज मिले लेकिन उनमें से भी एक को बचाया नहीं जा सका

दिल्ली में बढ़ा ब्लैक फंगस का खतरा, AIIMS और सर गंगाराम अस्‍पताल में मरीजों  की भरमार - the danger of black fungus increased in delhi
मुरादाबाद में 17 मरीज मिले, सबकी आंखें निकालनी पड़ीं
प्रदेश में सबसे ज्यादा असर मुरादाबाद में देखने को मिला। यहां 17 मरीज में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए थे और सभी की आंखें निकालनी पड़ी। वाराणसी में कुल 128 मरीजों में 19 की मौत हो गई, जबकि 14 की आंखें निकालनी पड़ीं। यह आंकड़े फंगस की भयावहता की गवाही देते हैं। कोरोना महामारी, देश-दुनिया सतर्क - BBC News हिंदी

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अपर जिला जज ने भी गंवाई थी ब्लैक फंगस से जान
बिजनौर के एडीजे राजू प्रसाद की मौत भी ब्लैक फंगस की वजह से ही होनी बतायी जा रही है। हालांकि प्रशासन पुष्टि नहीं कर रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि जो लक्षण उनमें थे वह फंगस के ही थे, उसका ही इलाज चल रहा था।मध्य प्रदेश में कोरोना के साथ 'ब्लैक फंगस' का खतरा बढ़ा, कई मौतों ने बढ़ाई  चिंता

निगेटिव मरीजों पर भी फंगस का असर
मेरठ मेडिकल कॉलेज में फिलहाल 84 ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है, लेकिन इनमें 33 कोरोना पॉजिटिव हैं, 51 मरीज निगेटिव हैं, फिर भी उन्हें फंगस ने अपनी चपेट में ले लिया है। कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा, गुजरात के बाद  ओडिशा में भी ब्लैक फंगस का मामला मिला | Risk of mucoramycosis in coronated  patients ...

एसजीपीजीआई को बनाया गया नोडल सेंटर
लखनऊ एसजीपीजीआई को ब्लैक फंगस के इलाज का नोडल सेंटर बनाया गया है। यहां 13 डॉक्टरों की टीम तैनात की गई है, जो प्रदेश के दूसरे सेंटरों के डॉक्टरों से समन्वय कर यहां से देखरेख कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भी अफसरों को हेल्पलाइन के जरिए मरीजों से बातचीत करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन एम्फोटेरेसिन-बी और दो अन्य टैबलेट की कमी न होने देने के आदेश दिए हैं। हालांकि दवाओं की उपलब्धता जांचने की कोई व्यवस्था नहीं है।

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मरीजों की मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं
जिलों में ब्लैक फंगस के मरीजों की मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। निजी अस्पतालों में कई लोग इलाज करा रहे हैं लेकिन इनके आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं। यही नहीं जब जिलों से मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है तो कोई आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं रहता है। वह बाद में यह जानने की कोशिश भी नहीं कर रहे कि उनका मरीज किस हाल में है। इसलिए जिलों के पास मरीजों का अपडेट भी नहीं मिल रहा। अपडेट न मिलने से इलाज की व्यवस्था भी ठीक से नहीं कराई जा पा रही है।

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