कृषि वैज्ञानिक डॉ. देवकरण के अनुसार, यदि मौसम ने साथ दिया होता तो लगभग 13 हजार क्विंटल से अधिक प्याज का उत्पादन हो सकता था। परंतु लगभग 7 हजार क्विंटल प्याज का नुकसान हुआ है। जो प्याज बचे भी होंगे वो उन्नत किस्म के प्याज नहीं हो पाएंगे। उनकी क्वालिटी पर भी गहरा असर पड़ेगा। इसके अलावे ककड़ी, खीरा, तरबूज समेत सब्जियों को भी गहरा नुकसान हुआ है।
50 हेक्टेयर में हुई थी प्याज की खेती
जिला सहायक निदेशक उद्यान सुपर्णा सिन्हा ने बताया कि जिले में 50 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई है। डुमरांव के दक्षिणी इलाके में बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम के तहत डुमरांव फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी ने लगभग 150 किसानों को मिलाकर 50 हेक्टेयर में डुमरांव अनुमंडल के विभिन्न गांव राजडीहा, मुगाशी, करूअज अटाव कुदरियां समेत कई गांव में प्याज की खेती कराई है। इतना ही नहीं बक्सर अनुमंडल में भी प्याज की खेती होती है। शिवशंकर सिंह, कमलेश साह, अरविंद तिवारी समेत अन्य किसानों ने बताया कि उधार पैसा लेकर मालगुजारी पर खेत लेकर सब्जी की खेती की गई थी, ताकि बेहतर मुनाफा हो जाएगा। परंतु अब लागत मूल्य भी नहीं मिल सकेगा।
14 करोड़ रुपए का नुकसान
जिले में 26 करोड़ रुपये के प्याज का उत्पादन होता है। परंतु एक अनुमान के अनुसार किसानों को 14 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। क्योंकि, किसानों के मुताबिक 2000 रुपए प्रति क्विंटल प्याज बिक सकता था। परंतु अब बारिश होने से प्याज की क्वालिटी पर भी असर पड़ा है। इससे प्याज 1000 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल ही बिक सकेगा। नुकसान का आकलन मौसम और बाजार के सही रहने पर भी आंका जाऐगा पर किसानों की माने तो प्याज की फसल ने कमर तोड दी है