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असम में मुख्यमंत्री पद की पेंच फसीं एक तरफ सोनोवाल और दुसरी तरफ सरमा की दांव

असम विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है दरअसल जीत की घोषणा होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए दो बड़े नाम सर्बानंद सोनोवाल और हिमंत बिस्वा सरमा के लिए बड़ा पेच फसता हुआ नजर आ रहा है यह दोनों ही चेहरे असम के लिए प्रमुख है चुनाव के नतीजे आने के एक हफ्ते बाद भी राज्य में नेतृत्व को लेकर सस्पेंस जारी है। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में भाजपा को जीत मिली। हालांकि उनके कैबिनेट मंत्री और राज्य के बड़े नेता हिमंत बिस्वा सरमा भी मुख्यमंत्री पद की रेस में हैं।Assam Election Results 2021 Updates: Will Sarbananda Sonowal gets another  chance to become CM of Assam? | Assembly Election 2021: Assam में फिर खिला  'कमल', लेकिन मुख्यमंत्री पर फैसला करना BJP केइसी के मद्देनजर दोनों नेताओं को दिल्ली तलब किया गया था। दोनों नेता भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर मीटिंग के लिए पहुंच गए हैं। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के जनरल सेक्रेटरी (संगठन) बीएल संतोष भी मौजूद हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि मीटिंग के बाद ही मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लग सकती है।कौन बनेगा असम का मुख्यमंत्री? फाइनल नाम तय करने को लेकर दुविधा में बीजेपी -  who will be the next cm of assam sarbanand sonowal or himanta biswa sarma -  AajTakअसम में भाजपा+ ने जीती 75 सीटें
असम में तीन चरणों में हुए चुनाव में भाजपा गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं। यह आंकड़ा बहुमत से अधिक है। भाजपा की इस जीत ने असम में इतिहास रच दिया, क्योंकि उससे पहले यहां 70 साल में कभी किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की।Assam Assembly Election 2021: Cm Sarbananda Sonowal Filled Nomination - असम  विधानसभा चुनाव: मुख्यमंत्री सोनोवाल ने दाखिल किया नामांकन, माजुली से  उम्मीदवारी - Amar Ujala Hindi News LiveNRC-CAA से भाजपा को नुकसान नहीं
इन नतीजों ने यह बता दिया कि NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स और CAA यानी सिटिजन अमेंडमेंटशिप एक्ट का मुद्दा भाजपा को नुकसान नहीं पहुंचा पाया। यह दावा इसलिए भी पुख्ता हो जाता है, क्योंकि पिछली बार 12 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता दिलाने में मदद करने वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट इस बार कांग्रेस और लेफ्ट के साथ था। इसके बावजूद भाजपा को नुकसान नहीं हुआ।

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