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कोविड-19 संक्रमण उन्हीं राज्यों में फैल रहा है, जहां केंद्र सरकार चाहती है-जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण उन्हीं राज्यों में फैल रहा है, जहां केंद्र सरकार चाहती है। पश्चिम बंगाल और असाम में चुनाव हैं, वहां संक्रमण का कोई खतरा नहीं है, लेकिन सनातन धर्म के सबसे बड़े पर्व महाकुंभ पर कोविड का खौफ दिखाकर श्रद्धालुओं को रोका जा रहा है। Swaroopanand Saraswati Said We Build Ram Mandir No Break Anyone - बोले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, अयोध्या में राम मंदिर हम बनाएंगे, जिसे रोकना है रोक कर दिखाए | Patrika Newsउन्होंने कहा कि सरकार कोविड का खौफ दिखाकर अपनी जिम्मेदारी से पीछा नहीं छुड़ा सकती। कोविड का खतरा है तो इसके बचाव के प्रबंध किए जाएं। कनखल स्थित शंकराचार्य मठ पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य ने अमर उजाला से खास बातचीत में कहा कि महाकुंभ 12 साल बाद आता है। सनातनी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। विशेष काल और विशेष स्थान पर कुंभ स्नान का महत्व होता है। इस दृष्टि से देश-दुनिया से श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। हरिद्वार कुंभ में गंगा तट पर स्नान और दान करने से अनंत फल मिलता है। इसलिए वह खुद भी आए हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में कोविड की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) थोपकर श्रद्धालुओं को रोकना और स्नान से वंचित करना अन्याय है। Shankaracharya Swaroopanand Saraswati Statement Over Sc St Act - एससी-एसटी एक्ट पर शंकराचार्य ने दिया बड़ा बयान, प्रधानमंत्री मोदी पर भी कसा तंज - Amar Ujala Hindi News Liveसरकार को श्रद्धालुओं की सेवा का पूरा प्रबंध करना चाहिए। बॉर्डर पर जांच की सुविधा बढ़ानी चाहिए। श्रद्धालुओं को भी कोविड के प्रति जागरूक होना होगा। जगद्गुरु ने कहा कि भारत में लोकतंत्र है। लोकतंत्र में सरकार जनता की सेवक है, लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार सेवक नहीं अभिभावक बन गई है। किसानों ने कृषि कानून बनाने की मांग नहीं की, लेकिन सरकार ने कानून थोप दिए। किसान वोटर है। सरकार बनाता है तो बदलने की भी ताकत रखता है।स्वरूपानंद सरस्वती - विकिपीडिया

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने श्रीराम जन्मभूमि न्याय ट्रस्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने ट्रस्ट में आरएसएस के लोगों को भर दिया है। आरएसएस के लोग वेदों को नहीं, भगवा को हिंदुओं का प्रतीक मानते हैं। उन्होंने कहा कि जो वेदों को नहीं मानते वो मंदिर को कैसे मानेंगे।

बता दें कि ज्योतिष और शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शुक्रवार को हरिद्वार पहुंचे। कनखल स्थित मठ में ढोल नगाड़ों और बैंड बाजों के साथ शंकराचार्य का भव्य स्वागत किया। मठ में शंकराचार्य के दर्शन को साधु संतों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।Ayodhya Ram Mandir Bhoomi Pujan Update | Swaroopanand Saraswati On Muhurt, Mahant Kamalnayan Das On Temple Construction In Ram Janmabhoomi | शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती बोले- भाद्रपद में शुभारंभ ...

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महाकुंभ स्नान के लिए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शुक्रवार शाम को कनखल स्थित मठ पहुंच गए। यहां उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के नेतृत्व में संत समाज के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत किया। शंकराचार्य मठ पहुंचने पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पादुका पूजन और आरती की गई।

गौरतलब है कि आठ अप्रैल को कनखल स्थित मठ से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की भव्य पेशवाई निकलेगी। पेशवाई में पहली बार मां गंगा की पवित्र छड़ी भी शामिल होगी। शोभायात्रा शहर से होते हुए चंडीटापू स्थित शंकराचार्य नगर पहुंचेगी। यहां शंकराचार्य अपने शिविर में प्रवेश करेंगे।जगतगुरु शंकराचार्य जी का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंडन में हुआ शामिल

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