आज चमोली के हादसे ने भारत चाइना बॉर्डर को एकमात्र जोड़ने वाले ब्रिज को बहा ले गया यह ब्रिज चिपको आंदोलन का गवाह था ब्रिज से हमारे हजारों सैनिक चीन बॉर्डर पर पहुंचते थे लेकिन अब यह ब्रिज नहीं रहा चमोली के हादसे ने वहां खाई पैदा कर दी है,
ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को तबाह करने के बाद सैलाब आगे बढ़ा और चीन बॉर्डर को जोड़ने वाला ब्रिज बहा ले गया। ये ब्रिज एकमात्र जरिया है जिससे हमारे सैनिक चीन बॉर्डर पर पहुंचते हैं। ब्रिज टूटने से आस-पास के 12 गांवों से कनेक्शन भी टूट गया। इनमें पल्ला रैणी, लाता, सुराइथोत, तोलम, सुकि, भलगांव, पंगरसु, तमकनाला हैं। घास काटने गईं करीब 30 महिलाएं भी बह गईं। इसके बाद सैलाब धौलीगंगा नदी में जाकर मिल गया। यहां उसकी रफ्तार और तेज हो गई।
चंद मिनटों में ही नदी किनारे का काली मंदिर और NTPC का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पानी-पानी हो गया। यहां करीब 180 से 200 लोगों का पता नहीं चल रहा है। अब ये सैलाब पीपल कोटी, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन गनीमत है कि अब ये कमजोर पड़ गया है। इसकी रफ्तार घट गई है। इससे इन इलाकों में रहने वाले लोगों को कोई खतरा नहीं है।’