नए कृषि कानूनों के खिलाफ में दिल्ली की सीमाओं पर लगातार 58वें दिन भी किसानों का हल्लाबोल जारी है। कृषि कानूनों पर कोई समाधान नहीं निकलने से घमासान अब भी बरकरार है। ऐसे में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच शुक्रवार को 11वें दौर की वार्ता होने जा रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की तरफ से 10वें दौर की वार्ता के दौरान कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक के लिए टालने के प्रस्ताव को गुरुवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कोई सहमति नहीं बन सकी है। सरकार की तरफ से कहा गया था कि 1.5 साल तक कानून के क्रियान्वयन को स्थगित किया जा सकता है। इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करके समाधान ढूंढ सकते हैं। सभी किसानों ने तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को फिर दोहराया।
वहीं, तीन नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक के लिए टालने के प्रस्ताव पर भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह दालेवाल ने कहा कि अभी किसान नेताओं की आपस बातचीत चल रही है। उन्होंने बताया कि कानून को टालने के प्रस्ताव को किसान नेताओं द्वारा खारिज करने से जुड़ी खबरें गलत हैं क्योंकि अभी तक हमने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है।
सभी ने शाम को ये फैसला लिया कि हम सरकार के प्रस्ताव को खारिज करते हैं। हम बैठक में सरकार को प्रस्ताव को ठुकराने पर अपनी दलील के साथ जवाब देंगे। आज की चर्चा हमारी मांगों पर केंद्रित होगी : श्रवण सिंह पंढेर, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव
बता दें कि, इससे पहले ऐसी खबरें आ रही थीं कि संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को हुई आम सभा की बैठक के दौरान केंद्र सरकार की ओर से दिए गए कानूनों को डेढ़ साल तक टालने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। सभी किसानों ने एक सुर में तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को दोहराया है। किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि सरकार के किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि वे कानूनों को रद्द नहीं करते। सरकार के साथ कल की बैठक में हम कहेंगे कि हमारी केवल एक मांग है, कानूनों को रद्द करना और एमएसपी पर कानून बनाना। इन सभी को सर्वसम्मति से तय किया गया है।
वहीं, दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रैक्टर परेड निकालने को लेकर गुरुवार को किसान संगठनों और पुलिस के बीच कोई निर्णय नहीं हो सका। कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 57 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने पर अड़े हैं। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि पुलिस ने उन्हें गणतंत्र दिवस के कारण राजधानी में घुसने से मना किया है, जबकि वे दिल्ली में रैली निकालना चाहते हैं। पुलिस की ओर से किसानों को कुंडली- मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे पर रैली निकालने का प्रस्ताव दिया है, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया है। बैठक के बाद किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने कहा कि आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड की अनुमति देना मुश्किल है और सरकार भी इसके लिए तैयार नहीं है, लेकिन किसानों ने कह दिया है कि वे रिंग रोड पर ही परेड करेंगे। पुलिस और किसानों के बीच फिर कल बैठक होगी। वहीं, किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि 26 जनवरी का कार्यक्रम अटल है और यह हर हाल में होगा। दिल्ली पुलिस किसानों के ट्रैक्टर परेड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई थी, लेकिन कोर्ट ने इस संबंध में कोई आदेश देने से मना कर दिया था और कहा था कि यह पुलिस के अधिकार क्षेत्र में हैं।