नए कृषि कानून पर किसान और सरकार के बीच टकराव जारी है, कोई भी अपने बातों से पीछे हटने को तैयार नहीं है ! हालांकि सरकार की ओर से बहुत बार बातचीत के जरिए रास्ता सुलझाना का प्रस्ताव आया पर किसान कानून को सीधे रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं ! किसानों का सीधा कहना है कि कानून रद्द किया जाए 6दौर की बातचीत के बाद सातवें दौर की बातचीत पर नजरें टिकी हुई हैं! कि शायद किसान मान जाए इन्हीं बातों के बीच एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए योग गुरु बाबा रामदेव ने अपने सलाह सरकार और किसानों को भी दिया, जहां बाबा ने कहां की सरकार को भी एमएसपी की गारंटी देनी चाहिए और किसान भी कृषि कानून के संशोधन पर विचार कर तैयार हो, जहां देश में अफरा तफरी का माहौल है वहां राहत की बात यही होती कि किसान अपनी हठ को छोड़कर संशोधन की बातों पर विचार करें और रास्ता सरकार को दें ताकि संशोधन किया जाए!
किसानों के मुद्दे पर रामदेव ने कहा कि संवाद और सहयोग से ही समस्याओं का हल निकलता है. हठयोग से कुछ नहीं होता है.
सरकार को किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए और जो संशोधन किसान चाहते हैं, उसे करना चाहिए. किसानों को भी बीच का रास्ता खोजना चाहिए. कृषि कानूनों को रद्द करने का हठ भी सही नहीं है. ये हठधर्मिता खत्म होनी चाहिए. अभी दोनों तरफ से हठधर्मिता है.
रामदेव ने कहा कि प्रधानमंत्री किसानोंं का अच्छा चाहते हैं, उनकी नीयत किसान की आय दोगुनी करने की है, लेकिन इस कानून से किसानों को अगर आपत्ति है तो उस पर सरकार को अमल करना चाहिए. फिलहाल बीच का रास्ता यही है. रामदेव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने पर सरकार तैयार नहीं होगी, इस कानून में कुछ तो किसानों के लिए अच्छा होगा. मध्यस्थता के सवाल पर रामदेव ने कहा कि मैं भी किसान का बेटा हूं. मैं मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार हूं.
मोदी सरकार पर राहुल गांधी के प्रहार को लेकर रामदेव ने कहा कि राहुल गांधी को अब फुल टाइम पॉलिटिक्स में उतरना चाहिए. पता चला है कि वो अपनी नानी के घर गए हैं. जब वो किसानों के हक की बात कर रहे हैं तो इस वक्त उन्हें यहां होना चाहिए था.