नए कृषि कानून के विरोध में जब संसद से सड़क तक आंदोलन के स्वर किसानों के बुलंद हैं ,और किसी भी तरीके से जब किसान और सरकार में बात बनते नजर नहीं आई तब तमाम विपक्षी पार्टियां इस आंदोलन को हाथों पर लेकर भुनाने की कोशिश तेज करते नजर आयी ! अनेक राजनीतिक दलों द्वारा इस आंदोलन को तूल देकर अपने राजनीतिक मसौदे को साधने की कोशिश लगातार जारी रही ! इस आंदोलन के बीच में तमाम विपक्षी दल ने हिस्सा लिया , हल्ला बोल के साथ प्रदर्शन भी किया ! आज इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में फिर एक बार नए कृषि कानून के मसले पर हल्ला बोल कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जहां विपक्ष के कई नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे गुरुवार को राहुल की अगुवाई में एक मार्च निकाला जाएगा, जिसमें विपक्ष के सांसद होंगे. जिसके बाद करीब दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर वाला पत्र राष्ट्रपति को सौंप कानून वापसी की अपील होगी. ये मुलाकात सुबह करीब 11.30 पर होगी ! बीते दिन सिंघु बॉर्डर पर 40 से अधिक किसान संगठनों की बैठक हुई, जिसमें सरकार के प्रस्ताव को नकार दिया गया. किसानों ने सरकार को लिखकर नया प्रस्ताव देने की बात कही है, जिसपर विचार किया जाएगा.
किसानों की सबसे बड़ी मांग अब भी तीनों कानूनों की वापसी ही है. किसानों का ये फैसला तब आया है, जब 25 दिसंबर को पीएम मोदी हजारों किसानों से संवाद करेंगे और उनके खाते में कृषि सम्मान निधि योजना की किस्त भेजेंगे.
राहुल गांधी की अगुवाई में किसान आंदोलन के समर्थन में विपक्ष का हल्ला बोल
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