करो ना काल में कोरोना काल में बिहार में HIV का खतरा तेजी से बड़ा जिंदगी को प्रभावित करने वाले रोगों में प्रभावी एड्स के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है आंकड़ों पर गौर करें तो हर रोज लगभग 15 लोग HIV के शिकार हुए !
भारत में मार्च के बाद से कोरोना के खिलाफ जंग तेज हुई. कोरोना ने एचआइवी-एड्स पीड़ितों की जिंदगी को भी प्रभावित किया है. कोरोना काल में उनके कल्याण के लिए चल रही कई सरकारी योजनाओं पर ब्रेक लग गया.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में इस दौरान 201 बच्चों सहित 3570 सामान्य व्यक्ति एचआईवी संक्रमित पाए गए.
इस हिसाब से देखें तो अप्रैल से अक्टूबर तक रोजाना 15 से अधिक संक्रमित मिले.! बिहार में कोरोना जांच के समांतर ही एचआईवी/एड्स की भी जांच राज्य के एचआईवी जांच केंद्रों के माध्यम से की गयी. लॉकडाउन में सबसे पहले तो एआरटी सेंटरों पर इनको आने में परेशानी होने लगी. ऐसे में दूर-दराज के इलाकों में रह रहे एड्स पीड़ितों तक दवा पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था.
हालांकि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति की पहल पर कई एनजीओ की मदद से लॉकडाउन के दिनों में भी उन तक दवा पहुंचायी गयी.! इसके बावजूद आशंका इस बात की है कि कई एड्स पीड़ितों को समय से दवा नहीं मिलने से उनकी बीमारी दूसरे या तीसरे स्टेज में पहुंच गयी होगी.
इधर, बिहार एड्स नियंत्रण समिति के अनुसार अप्रैल से अक्टूबर के मध्य सभी 38 जिलों में की गई एचआईवी जांच के दौरान सामान्य व्यक्तियों के साथ ही एचआईवी संक्रमित महिलाओं के बच्चों में भी एचआईवी का संक्रमण पाया गया. समिति के अनुसार कोरोना संकट काल के दौरान अब तक 11 लाख 58 हजार 784 सैंपल की एचआईवी जांच की जा चुकी है.!
बिहार में बीते साल में मिले इतने एचआईवी संक्रमित
वर्ष सामान्य संक्रमित बच्चे संक्रमित
- 2016-17 10771 468
- 2017-18 11070 636
- 2018-19 11034 549
- 2019-20 9930 548
- 2020-21 3369 (अप्रैल से अक्टूबर ) 201
1500 मासिक सहायता राशि पर लगा ब्रेक
बिहार शताब्दी एड्स पीड़ित कल्याण योजना के तहत बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा रजिस्टर्ड एड्स पीड़ितों के खाते में हर महीने आने वाली 1500 रुपये की राशि कोरोना काल में बंद है. हालांकि एड्स दिवस के अवसर पर समिति ने फरवरी 2020 से अक्तूबर 2020 तक की राशि खातों में ट्रांसफर करने की घोषणा की है. वहीं, कोरोना काल में एआरटी सेंटरों में डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ायी जा सकी.