दिल्ली में नए मामले और मौत का आंकड़ा बढ़ा है. सरकार महामारी की रोकथाम के लिए उपाय कर रही है. लेकिन कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखकर लग रहा है कि कई राज्यों में हालात बिगड़ सकते हैं.
कोरोना काल पहले देश के लिए जी का जंजाल बना और अब ये बदहाली, बदहवासी, मौत और कर्ज़ के जाल में लोगों को जकड़ने लगा है. जो जिंदा बच गया उसे कर्ज का बोझ मार रहा है और जो जिंदा बचने की कोशिश में अस्पताल पहुंच गया उसे सिस्टम एक गुमशुदा लाश में बदल रहा है. अस्पतालों के पास न लाज है न लिहाज है और न ही इस बीमारी का कोई पुख्ता इलाज है. इस अस्पताल से 100 मीटर की दूरी पर रहने वाले सुरेश राय संक्रमण की आशंका की वजह से GTB अस्पताल में भर्ती तो गए. लेकिन फिर कुछ ही दिनों में वो एक लापता लाश में बदल गए. अस्पताल दावा करता रहा कि सुरेश छठी मंजिल के कोविड वार्ड से भाग गए हैं. लेकिन दो दिन की तलाश के बाद पांचवी मंजिल पर उनकी लाश मिली.