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DBT के जरिये बिजली सब्सिडी मिलेगी
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असिमित बिजली योजना खत्म करने की तैयारी
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किसानों को डर बिजली सब्सिडी खत्म कर देगी सरकार
किसानो की कृषि लागत को कम कर खेती को आसान बनाने की परियोजनाओं मे असिमित बिजली उत्तप्रदेश राजस्थान पंजाब हरियाणा सहीत बहुत सारे राज्यो को जो मुफ्त दी जाती थी वो खत्म करने की तैयारी की जा रही है ! गौरतलब है की बिजली की ज्यादा खपत और किसानों द्वारा बिजली की बर्बादी को देखते हुए केन्द्र ने इस फैसले पर विचार किया लगातार बिजली कम्पनियों के घाटे और सरकार पर बढ रहे दबाव को देखते हुए ये फैसला लिया गया ठीक इसके उलट बिजली मे सब्सिडी देने पर विचार किया जा रहा है जो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिये दिया जाऐगा
लेकिन किसानों को आशंका है कि इस तरह धीरे-धीरे उनकी सब्सिडी खत्म की जा सकती है। इससे उनका कृषि घाटा बढ़ सकता है। यही कारण है कि किसान संगठन केंद्र सरकार से ‘विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020’ को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसान इसके विरोध में 5 नवंबर को देशभर में चक्का जाम और 26-27 नवंबर को दिल्ली का घेराव करने की तैयारी कर रहे हैं।
क्या है केंद्र की नई बिजली नीति
बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने चार चरणों में- वर्ष 2014, 2018, 2019 और अप्रैल 2020 में कई प्रस्ताव पेश किए हैं। ‘विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020’ के एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव के अनुसार राज्य सरकारें किसानों को कृषि कार्य के लिए असीमित बिजली उपभोग की छूट नहीं दे सकेंगी। इसकी बजाय किसानों के घरों-खेतों पर मीटर लगाए जाने का सुझाव दिया गया है। इससे जो भी बिजली बिल आएगा, निर्धारित दरों के आधार पर उसका भुगतान पहले किसान को स्वयं करना होगा। बाद में राज्य सरकारें जितनी सब्सिडी देना चाहें, सीधे किसानों के खातों में डाल सकेंगी।
विशेषज्ञों का तर्क है कि किसानों को मुफ्त असीमित बिजली उपभोग की छूट देने पर इसका भारी दुरूपयोग होता है। स्वयं किसान भी बिजली की बचत को लेकर जागरूक नहीं होते हैं। किसानों को मुफ्त बिजली का लाभ अनेक अपात्र लोग भी उठाते हैं। इससे बिजली घाटा बढ़ता है। वर्तमान समय में प्रति वर्ष 80 हजार करोड़ रुपये का बिजली घाटा सरकार को सहना पड़ता है। केंद्र को उम्मीद है कि अगर हर किसान के घर बिजली का मीटर लग जाए और राज्यों को सीधे नकद सहायता देनी पड़ेगी तो बिजली के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।