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देशभर के 51 केंद्रीय विश्वविद्यालय परीक्षाएं लेने को तैयार, 30 सितंबर से पहले परीक्षा करवाने का दिया आश्वासन

देशभर के 51 केंद्रीय विश्वविद्यालय परीक्षाएं लेने को तैयार, 30 सितंबर से पहले परीक्षा करवाने का दिया आश्वासन

यूजीसी का कहना है कि अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराई गईं तो उनकी डिग्रियों को मान्यता नहीं दी जाएगी. परीक्षाओं को लेकर अभी तक 818 विश्वविद्यालयों ने यूजीसी को अपना जवाब भेजा है.

51 central universities across the country ready to take examinations

नई दिल्लीः डिग्री कॉलेजों में अंतिम साल के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराई गईं तो यूजीसी उनकी डिग्रियों को मान्यता नहीं देगी. यूजीसी के इसी निर्णय को देखते हुए अभी तक 600 से अधिक विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवाने पर सहमति जताई है. परीक्षाओं को लेकर अभी तक 818 विश्वविद्यालयों ने यूजीसी को अपना जवाब भेजा है. अपने जवाब में देशभर के 209 विभिन्न विश्वविद्यालयों ने बताया कि वे अपने संस्थानों में यूजीसी के दिशा निर्देश अनुसार परीक्षाएं सफलतापूर्वक पूरी करवा चुके हैं.

इनके अलावा 394 विभिन्न विश्वविद्यालय अगस्त और सितंबर में ऑनलाइन, ऑफलाइन और मिश्रित संसाधनों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. देशभर के लगभग सभी केद्रीय विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं लिए जाने पर अपनी सहमति दी है.

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यूजीसी ने कहा, “विश्वविद्यालयों की परीक्षा के लिए 6 जुलाई को पुन: निर्धारित किए गए दिशा-निर्देशों पर 51 केंद्रीय विश्वविद्यालय से सकारात्मक जवाब मिला है. इनमें से कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर की ऑनलाइन परीक्षाएं पूरी करवा ली हैं, जबकि शेष रह गए केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने 30 सितंबर से पहले इस प्रकार की परीक्षाएं करवा लेने का आश्वासन दिया है.”

विश्वविद्यालय की तरफ से आयोजित परीक्षा में यदि टर्मिनल सेमेस्टर अंतिम वर्ष का कोई भी विद्यार्थी उपस्थित होने में असमर्थ रहता है, चाहे जो भी कारण रहा हो, तो उसे ऐसे पाठ्यक्रमों व प्रश्नपत्रों के लिए विशेष परीक्षाओं में बैठने का अवसर दिया जा सकता है.

यूजीसी द्वारा लिए गए इस निर्णय पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य डॉ. वी.एस. नेगी ने कहा, “विद्यार्थियों द्वारा साथ चुने हुए प्रतिनिधियों से चर्चा किए बिना ऑनलाइन परीक्षा का प्रयोग करना उचित नहीं है. इस पर फिर से विचार कर विद्यार्थियों के हित में कार्य करना चाहिए. जिस तरह से कुलपति निर्णय लागू कर रहे हैं, वो विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ है.”

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वहीं, प्रसिद्ध शिक्षाविद एस.के. वर्मा ने कहा, “छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य से समझौता किए बिना यदि ऑनलाइन परीक्षाएं करवाई जाएं तो यह एक अच्छा विकल्प होगा. इससे छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उनका मूल्यांकन किया जा सकेगा.”

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