भाजपा की MCD ने 1000 शिक्षकों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर चूकि है, दक्षिण और उत्तरी दिल्ली नगर निगमों ने 1000 से अधिक शिक्षकों के अनुबंध का नवीनीकरण (रिनुअल) नहीं किया है, जिसकी वजह से वे लोग भी बेरोजगार हो गए हैं जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान राशन वितरण में भी मदद की थी. हालांकि, ईस्ट एमसीडी ने अपने किसी भी संविदा शिक्षक (कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स) को नहीं हटाया है. दक्षिण एमसीडी ने 421 शिक्षकों का अनुबंध समाप्त कर दिया है, जबकि उत्तरी एमसीडी ने 667 शिक्षकों को हटाया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्थायी समिति के सदस्य और कांग्रेस पार्षद सुरेश कुमार ने मंगलवार को एक बैठक में इस मुद्दे को उठाया और कहा कि यह अमानवीय है कि संकट के दौरान नगर निकाय ने उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया. ‘वे दस साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं, अब वे कहां जाएंगे? अधिकांश लोग उम्र की सीमा के कारण नई नौकरी की तलाश नहीं कर सकते हैं.
लाजपत नगर में कार्यरत एक शिक्षक अनिल शौकीन ने कहा: ‘हमने अपनी जान जोखिम में डालकर कोविड के दौरान भी राशन वितरित किया. हमारा अनुबंध जून में रिन्यू हो जाता था, लेकिन इस साल और पिछले साल भी इसे रिन्यू नहीं किया गया है.’ दक्षिण एमसीडी की स्थायी समिति के अध्यक्ष, बी के ओबेरॉय ने कहा कि नागरिक निकाय ने हाल ही में 150 से अधिक स्थायी शिक्षकों को नियुक्त किया है. उन्होंने कहा, ‘निगम का वित्त उसे अनुबंधित शिक्षकों के लिए भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है क्योंकि दिल्ली सरकार एमसीडी को उसका बकाया नहीं दे रही है.’
ईस्ट एमसीडी ने अपने शिक्षकों को बरकरार रखा है और उन्हें सर्व शिक्षा अभियान के तहत भुगतान किया जा रहा है. आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह मामला चौंकाने वाला है कि 7 सितंबर, 2020 को नॉर्थ एमसीडी के शिक्षा विभाग मुख्यालय ने दिल्ली सरकार को एक पत्र लिखकर बताया कि वे अपने प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों को बर्खास्त कर रहे हैं, क्योंकि महामारी के दौरान स्कूल बंद थे और वे फिजिकल क्लासेज नहीं ले रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘शिक्षकों को अपने लिए राशन भी नहीं मिल पा रहा है क्योंकि एमसीडी द्वारा उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया है.’ भारद्वाज के बयान के बाद इस मुद्दे ने एक राजनीतिक गतिरोध को जन्म दिया है.
भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि ये संविदा शिक्षक हैं जिनका वेतन 35,420 रुपये प्रति माह है, जिसका भुगतान सर्व शिक्षा अभियान के तहत किया जाता है. इन 667 संविदा शिक्षकों का वार्षिक वेतन बिल 23.62 करोड़ रुपये है, जिसमें से 25% केंद्र द्वारा भुगतान किया जाता है जबकि 75% का भुगतान दिल्ली सरकार द्वारा किया जाना है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने मई 2020 में इन संविदा शिक्षकों के वेतन का भुगतान बंद कर दिया था, जिसके बाद नॉर्थ एमसीडी के पास उनके अनुबंधों को निलंबित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा कि उन्हें निलंबित करने के बावजूद, नॉर्थ एमसीडी दिल्ली सरकार को उनके वेतन का भुगतान करने के लिए लिख रही है, ताकि उन्हें बहाल किया जा सके, लेकिन सब व्यर्थ है.