मोदी सरकार और उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के लिए किसान अब चुनौती बनते जा रहे है, केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसानों ने पंजाब और हरियाणा के किसानों की तरह ही बीते मंगलवार को मथुरा के मांट टॉल प्लाजा पर दो घंटे तक कब्जा जमाए रखा और इस दौरान वहां से गुजरने वाले किसी भी वाहन को टोल नहीं देना पड़ा. पिछले एक साल से पंजाब और हरियाणा के किसानों ने राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा के पास नाकेबंदी कर रखी है और टोल टैक्स वसूलने नहीं दे रहे हैं.
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टाइम्स ऑफ इंडिया ने बीकेयू (अम्बावता) के जिला अध्यक्ष राजकुमार तोमर के हवाले से कहा है कि यह तो केवल दो घंटे का ‘ट्रेलर’ है, यदि सरकार ने कृषि कानून वापस नहीं लिये तो 29 सितम्बर से टोल प्लाजा को टोल फ्री करा देंगे. उन्होंने कहा कि यदि सरकार हमारी मांगों को गम्भीरता से नहीं लेती है तो पंजाब एवं हरियाणा के राजमार्गों की तरह ही यमुना एक्सप्रेसवे पर भी लोगों को बिना टोल चुकाए जाने दिया जाएगा.’
मांट टोल प्लाजा के प्रबंधक आर बी सिंह ने सम्पर्क किए जाने पर बताया कि वे मामले को निपटाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है और उनके निर्देश का पालन किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि यह कानून एवं व्यवस्था का प्रश्न है और इस बारे में ज्यादा कुछ कहा नहीं जा सकता. रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में किसानों के आंदोलन के कारण कम से कम 50 टोल प्लाजा पर टोल वसूली बंद है, जिसके कारण प्रतिदिन पांच करोड़ की अनुमानित क्षति हो रही है. दिल्ली-चंडीगढ़ राष्ट्रीय उच्चपथ 44 स्थित सभी टोल प्लाजा पिछले आठ महीनों से किसानों के प्रदर्शन स्थल के रूप में तब्दील हो चुके हैं.
इस वर्ष मार्च में, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में दिए एक लिखित जवाब में कहा था कि तीन राज्यों में किसानों के प्रदर्शन के कारण 16 मार्च तक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को कम से कम 814.40 करोड़ रुपये के टोल राजस्व की हानि हुई है.