भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच के संघर्ष को एक साल पूरे हो जाएंगे। इस एक साल में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल सका। एक सूत्र से पता चला है कि हाल ही में दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के दौरान चीन ने यह तक कह दिया था कि भारत को अब तक जो हासिल हुआ है, वह उससे ही खुश रहे।ऐसी उम्मीद थी कि दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान चीन अपनी सेना को पीछे हटाने पर राजी हो जाएगा पर ऐसा हुआ नहीं। दरअसल, एक समाचार पत्र के अनुसार नौ अप्रैल को दोनों देशों के बीच हुई कमांडर स्तरीय बातचीत के बाद चीन ने हॉट स्प्रिंग और गोगरा पोस्ट से अपने सैनिक पीछे हटाने से मना कर दिया। इससे देपसांग प्लेन समेत इन इलाके के सैनिकों की तैनाती दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बन रही है।
वादे से पलटा चीन
साल 2020 में दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में शामिल एक सूत्र के हवाले से समाचार पत्र में लिखा गया है कि चीन ने पहले तो हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और 17 ए से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए सहमति जताई थी, लेकिन बाद में इनकार कर दिया।
सूत्र का कहना है कि हालिया वार्ता में चीन ने यह तक कहा, ‘भारत को अब तक जो हासिल हुआ है, उसे उसी से खुश होना चाहिए।’ बता दें, फरवरी में पैंगोंग त्सो और कैलाश रेंज के उत्तर और दक्षिण तट पर से दोनों देशों ने अपने सैनिक पीछे हटा लिए थे। सूत्र की मानें तो अब वहां चीनी सेना की एक कंपनी नहीं बल्कि एक प्लाटून तैनात है। भारतीय सेना की एक कंपनी में 100 से लेकर 120 सैनिक होते हैं जबकि एक प्लाटून में 30 से 32 सैनिक होते हैं।
समाचार पत्र के अनुसार पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर फिंगर चार और फिंगर आठ के बीच दोनों पक्षों की तरफ से पेट्रोलिंग पर अस्थायी रोक लगाई गई थी।सूत्र के अनुसार दोनों देशों के बीच तनाव शुरू होने के दो-तीन साल पहले से भारत फिंगर आठ तक नहीं पहुंच पाया है जो एलएसी को दर्शाती है।
एक साल पहले शुरू हुआ था विवाद
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवाद पिछले साल मई में शुरू हुआ था, जब चीन ने लद्दाख के अक्साई चिन की गलवान घाटी में भारत की ओर से सड़क निर्माण को लेकर आपत्ति जताई थी।पांच मई को भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद सैन्य गतिरोध पैदा हो गया। इसके बाद चीनी सैनिक नौ मई को सिक्किम के नाथू ला में भी भारतीय सैनिकों के साथ उलझ गए थे, जिसमें कई सैनिकों को चोटें आई थीं। इसके बाद 15 जून को लद्दाख के गलवान घाटी में भी भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।