बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए को झटका लगा है. लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया है. पशुपति पारस ने एनडीए के ‘पांच पांडव’ बयान पर तंज कसते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की. पशुपति पारस तभी से नाराज थे, जब बीजेपी ने उनके भतीजे चिराग पासवान को ज्यादा तरजीह दी. आइए, इस सियासी ड्रामे की पूरी कहानी और पशुपति पारस का बिहार चुनाव पर क्या होगा असर, उसके बारे में जानते हैं.
पशुपति पारस ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनडीए से अलग होने की घोषणा की. उन्होंने कहा, हमारी पार्टी एनडीए अलायंस की वफादार और ईमानदार सहयोगी थी. राष्ट्रहित में हमने 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का साथ दिया. लेकिन इसके बावजूद, जब भी एनडीए की बैठकें हुईं, बयान आया कि ‘हम पांच पांडव हैं’… बीजेपी, जदयू, HAM, RLSP और LJP (रामविलास लेकिन हमारी पार्टी का नाम तक नहीं लिया गया. हमने मजबूरी में फैसला लिया कि अब ‘चलो गांव की ओर’. उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी अब बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपनी ताकत को मजबूत करेगी और अगर महागठबंधन (RJD-कांग्रेस) से उचित सम्मान और समय पर प्रस्ताव मिलता है, तो भविष्य में गठबंधन पर विचार करेंगे.
चिराग पासवान से कनेक्शन और सियासी तनातनी
पशुपति पारस, चिराग पासवान के चाचा हैं, और दोनों के बीच सियासी रिश्ते लंबे समय से तल्ख रहे हैं. यह तनाव 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद और गहरा गया, जब लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) दो धड़ों में बंट गई. पशुपति पारस की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) और चिराग पासवान की एलजेपी आर. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और पीएम मोदी ने चिराग पासवान पर भरोसा जताया और उनकी पार्टी को बिहार में 6 सीटें दीं, जिनमें से चिराग की पार्टी ने 5 सीटें जीतीं. वहीं, पशुपति पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई, जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.