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शिवसेना- राहुल का अपमान लोकतंत्र के ‘गैंगरेप’ होने जैसे लक्षण

  • राहुल का अपमान लोकतंत्र के ‘गैंगरेप’ होने जैसे लक्षण

हाथरस गैंगरेप पर शिवसेना के मुखपत्र सामना ने उत्तर प्रदेश सरकार पर जोरदार हमला किया है. सामना लिखता है कि ये कैसा हिंदुत्व है कि जब एक अभिनेत्री का अवैध निर्माण तोड़ा जाता है तो इसकी जोरदार आलोचना की जाती है लेकिन जब एक लड़की के साथ रेप होता है और उसकी हत्या कर दी जाती है तो चुप रहा जाता है.

राहुल गांधी का पक्ष लेते हुए सामना संपादकीय में कहा गया है कि पीड़ित लड़की के परिजनों से मिलने जा रहे राहुल गांधी को प्रशासन ने न सिर्फ रोका बल्कि उनका कॉलर पकड़कर उनसे धक्का-मुक्की करके जमीन पर गिरा दिया. देश के एक प्रमुख विरोधी दल के नेता के साथ ऐसा व्यवहार और उनका अपमान लोकतंत्र के ‘गैंगरेप’ होने जैसे लक्षण हैं.

जिन्होंने पसीने की एक बूंद नहीं बहाई, उनके आदेश पर राहुल पर हमला

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अखबार लिखता है कि राहुल गांधी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं, राहुल गांधी महान इंदिरा गांधी के पौत्र और जुझारू राजीव गांधी के सुपुत्र हैं. इंदिरा और राजीव गांधी देश की संप्रभुता के लिए शहीद हुए. लेकिन देश के लिए खून छोड़िए, पसीने की एक बूंद भी जिन्होंने नहीं बहाई, ऐसे सत्ताधीशों के आदेश पर राहुल गांधी पर हमला किया गया. ऐसे लोग गांधी परिवार की कुर्बानी को नहीं समझेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ पर करारा हमला करते हुए सामना लिखता है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संन्यासी हैं,  वह भगवा कपड़ा पहनकर घूमते हैं, प्रधानमंत्री मोदी तो फकीर हैं लेकिन पीएम मोदी को दुनिया की सर्वोच्च दर्जे की सुरक्षा प्राप्त है. योगी को भी बड़ी सुरक्षा मिली हुई है.

सुरक्षा हटाने पर आंसू बहाने लगे थे योगी महाराज

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सामना में सीएम योगी पर तंज कसते हुए लिखा गया है कि अखिलेश सरकार ने एक बार योगी की सुरक्षा हटाई, तब संसद के सभागृह में यही योगी महाराज आंसू बहाने लगे थे. आज वही योगी मुख्यमंत्री हैं लेकिन अबलाएं और माताएं सुरक्षित नहीं हैं. बलात्कार की शिकार हुई अबला की लाश को पुलिस पेट्रोल डालकर जला रही है. यह नराधमी कृत्य हिंदुत्व की किस परंपरा के अंतर्गत आता है? लाश का अपमान नहीं किया जाना चाहिए, लाश का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार होने का अधिकार है.

अब हिंदुत्व का शंखनाद ठंडा क्यों पड़ा

महाराष्ट्र के पालघर में दो संतों की हत्या का जिक्र करते हुए सामना लिखता है कि पालघर में दो साधुओं की भीड़ ने हत्या कर दी थी. तब पीड़ा से तड़पने वाले योगी का बयान हमने सुना है. पूरी भाजपा तब हिंदुत्व के नाम से शंख फूंक रही थी. तो फिर हाथरस और बलरामपुर प्रकरण में हिंदुत्व का शंखनाद ठंडा क्यों पड़ गया है?

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सुशांत पर बीजेपी नेताओं ने खूब चर्चा की

सामना लिखता है कि मुंबई में सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की या उसका खून हुआ, इस पर भाजपा प्रवक्ताओं ने चैनलों पर खूब चर्चा की. लेकिन हाथरस में एक कन्या से बलात्कार हुआ ही नहीं, इसके लिए सब लोग अब अपना वाक कौशल दिखा रहे हैं.  यह शर्मनाक है. पीड़िता ने कैमरे के सामने बताया कि बलात्कार हुआ है. मृत्यु पूर्व दिए गए उस बयान का कोई मतलब नहीं है क्या? उस लड़की की इज्जत की रक्षा नहीं की जा सकी और उसकी जान भी नहीं बचाई जा सकी. ऐसी उत्तरप्रदेश पुलिस ने हाथरस जाने के लिए निकले राहुल गांधी पर हमला कर दिया है. यह कानूनन सही नहीं है

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