पटना. कहते हैं राजनीति में संयोग कुछ भी नहीं होता, बल्कि प्रयोग होता है और लक्ष्य सत्ता में आना या फिर बने रहना होता है. बिहार की राजनीति तो इसका बहुत बड़ा उदाहरण है. यहां समय-समय पर नये राजनीतिक समीकरण बनने बिगड़ने के अनेकों उदाहरण हैं. वर्तमान में अब जब बिहार विधानसभा चुनाव के करीब 6 महीने शेष रह गए हैं तो अभी से राजनीतिक सरगर्मी के साथ बिहार में अनेको तरह की गहगहमी दिखने लगी है. एक ओर विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है, तो इसी बीच बिहार में हिंदू धर्मगुरुओं के एक के बाद एक दौरों ने सियासी पारा को गर्म कर दिया है. हिंदुत्व के प्रतीक धार्मिक गुरुओं के बिहार दौरे को लेकर सियासत भी गर्म है. दरअसल, बिहार में चुनावी साल में हिंदुत्व के तीन बड़े चेहरे, बागेश्वर बाबा आचार्य धीरेंद्र शास्त्री, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और श्री श्री पंडित रविशंकर एक साथ बिहार में हैं. जाहिर तौर पर विपक्षी महागठबंधन के नेताओं ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है, जबकि बीजेपी इसमें राजनीति नहीं देख रही है. वहीं, जेडीयू के रुख में भी बदलाव दिख रहा है. इस पूरे घटनाक्रम को राजनीति के जानकार भी अपनी दृष्टि से देख रहे हैं. मगर आइये जानते हैं कि पहले हो क्या रहा है
यह गौर करने वाली बात है कि बाबा बागेश्वर गोपालगंज के दौरे पर हैं जो परंपरागत रूप से लालू प्रसाद यादव का गढ़ कहा जाता रहा है. हालांकि, बीते चुनावों में इन क्षेत्रों में बीजेपी और जदयू का दबदबा रहा है, लेकिन अभी भी गढ़ इसको राजद का ही कहा जाता है. वह वहां हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. हनुमंत कथा और दिव्य दरबार का आयोजन कर रहे हैं. उनको सुनने के लिए लाखों की संख्या में भीड़ जुट रही है और वह ‘बिहार में बहार’ आने तक की बात भी अपनी सभा में कह रहे हैं. निश्चित तौर पर ‘बिहार में बहार’ आने की उनकी बात कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस नारे से जोड़कर देखा जा रहा है जब 2015 में बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है… से एक बार फिर जुड़ता है.
बिहार क्यों बना बाबा का पड़ाव?
गोपालगंज में हिंदू राष्ट्र की हुंकार भरते हुए बाबा बागेश्वर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के कुछ बयानों पर गौर करें तो आप पाएंगे कि उनका क्या ध्येय है और उनकी बातों के क्या अर्थ हैं. उन्होंने कहा- देश रघुवर का है बाबर का नहीं… भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे… हिंदुओं को एक करेंगे… हिंदुओं को घटने नहीं देंगे.. संकट पर हिंदू कहां जाएंगे… हिंदू राष्ट्र की आवाज बिहार से.बाबा बागेश्वर के बयानों को राजनीति के जानकार अपने नजरिये से पढ़ते हैं. वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि महाकुंभ आयोजन में सनातन एकता की बात को खूब उद्धृत किया गया. इसी को आगे बढ़ाते हुए आचार्य धीरेद्र शास्त्री का पड़ाव बहार बना है. जाहिर तौर पर जातियों में बुरी तरह विभक्त बिहार के समाज को एकजुट करने में अगर थोड़ी भी सफलता बाबा बागेश्वर को मिलेगी तो यह बीजेपी की राजनीति को ही फायदा पहुंचाएगी.