पटना. बिहार की राजनीति नए साल में क्या नई कहानी लिखने जा रही है? क्या बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजधानी पटना में वो सबकुछ देखने को मिलेगा, जो साल 2012 में दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के अनशन के दौरान देखने को मिला था. क्योंकि, जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ‘पीके’ बीपीएससी छात्रों के समर्थन में पटना में आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. प्रशांत किशोर ने बीते रविवार को बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज के बाद आमरण अनशन पर बैठने का फैसला लिया है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या बिहार की राजनीति में इस आमरण अनशन के जरिए प्रशांत किशोर भी अरविंद केजरीवाल बनने की कोशिश कर रहे हैं?
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज बीते रविवार को बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में सामने आई थी. बाद में प्रशांत किशोर भी बीपीएससी छात्रों के बीच आकर उनकी मागों का समर्थन किया था. हालांकि, प्रशांत किशोर के जाते ही छात्रों पर पटना पुलिस ने बेरहमी से लाठी-डंडे बरसाये थे, जिसमें कई छात्र घायल भी हो गए. इस घटना के बाद छात्रों के साथ-साथ बिहार की राजनीतिक पार्टियां भी प्रशांत किशोर पर भगोड़ा कहना शुरू कर दिया. ऐसे में प्रशांत किशोर का छात्रों की मांग के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठना बिहार की राजनीति में कुछ बड़ा होने का संकेत दे रहा है.
प्रशांत किशोर बनेंगे केजरीवाल?
प्रशांत किशोर पर रविवार की घटना के बाद बिहार पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की थी. लेकिन, आमरण अनशन पर बैठने के बाद एक बार फिर से प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार को निशाने पर लिया है. प्रशांत किशोर पहले ही बोल चुके थे कि अगर छात्रों की मांग बीपीएससी नहीं मानती है तो बड़ा आंदोलन करेंगे. पीके बीते गुरुवार को ही इस बात की घोषणा की थी कि अगर सरकार बीपीएससी परीक्षा को रद्द नहीं करती है तो वह आमरण अनशन शुरू कर देंगे. आखिर पीके ने सातवें दिन आमरण अनशन शुरू कर नीतीश सरकार पर दवाब बनाना शुरू कर दिया है.
बीते अक्टूबर महीने में ही प्रशांत किशोर बिहार में हजारों किलोमीटर पैदल यात्रा कर जन सुराज पार्टी का गठन किया था. लेकिन, बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे के बाद प्रशांत किशोर की काफी आलोचना होने लगी. ऐसे में पीके ने आमरण अनशन की शुरुआत कर एक बार फिर से बिहार में राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कवायद शुरू कर दिया है