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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को शुक्रवार को पूछताछ के लिए गवाह के तौर पर बुलाया

नई दिल्ली: अवैध खनन मामले में सीबीआई ने मामला दर्ज करने के पांच साल बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को शुक्रवार को पूछताछ के लिए गवाह के तौर पर बुलाया है. अधिकारियों ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 160 के तहत जारी एक नोटिस में एजेंसी ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को उसके सामने पेश होने के लिए कहा है

यह धारा एक पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति देती है. यह मामला ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के कथित उल्लंघन में खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे. आरोप है कि 2012-16 के दौरान जब अख‍िलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तो पब्‍ल‍िक सर्वेंट ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया. आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी, पट्टाधारकों और ड्राइवरों से पैसे वसूले. गौण खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में सात केस दर्ज क‍िए थे.

क्‍या है पूरा मामला
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. उन्होंने कहा था कि अख‍िलेश यादव जिनके पास कुछ समय तक खनन विभाग भी था उन्‍होंने ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूरी दे दी थी, जिनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दे दी गई थी.

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दावा किया कि 17 फरवरी 2013 को 2012 की ई-टेंडर नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद हमीरपुर के जिला मजिस्ट्रेट बी चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे, ज‍िसकी उस वर्ष 29 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पुष्टि की गई. सीबीआई ने आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी एमएलसी रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित (जिन्होंने बसपा के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था) सहित 11 लोगों के खिलाफ अपनी एफआईआर के संबंध में जनवरी 2019 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी. 2012-16 के दौरान हमीरपुर जिले में लघु खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच करें

एफआईआर के अनुसार, अख‍िलेश यादव जो 2012 और 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे उन्‍होंने 2012-13 के दौरान खनन विभाग संभाला, जिससे जाहिर तौर पर उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आ गई. उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने ली, जिन्होंने 2013 में खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और 2017 में चित्रकोट में रहने वाली एक महिला द्वारा बलात्कार की शिकायत के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अगर अख‍िलेश यादव सीबीआई के सामने अपना बयान दर्ज करवाते हैं तो इससे गायत्री प्रजापत‍ि की मुश्‍क‍िलें बढ़ेंगी इतना ही नहीं कहीं ना कहीं भव‍िष्‍य में अख‍िलेश यादव भी जांच के घेरे में आएंगे क्‍योंक‍ि यह घोटाला उनके कार्यकाल के दौरान ही हुआ था.

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