नई दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद द्वारा गत सप्ताह पारित किए गए तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों को सोमवार को स्वीकृति प्रदान कर दी. तीन नए कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून औपनिवेशिक काल के तीन कानूनों भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे.
संसद में तीनों विधेयकों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन विधेयकों का उद्देश्य पूर्ववर्ती कानूनों की तरह दंड देने का नहीं बल्कि न्याय मुहैया कराने का है. उन्होंने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को परिभाषा देकर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव लाना है. इनमें आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा दी गयी है, राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया गया है और ‘राज्य के खिलाफ अपराध’ शीर्षक से एक नया खंड जोड़ा गया है
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि Indian Penal Code जो 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था. उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी. CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 इस सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी. और Indian Evidence Act 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी. पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है. जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए.
अमित शाह ने सदन में कहा हमने बोला था कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस की नीति लाएंगे. नए आपराधिक कानूनों के माध्यम से देश के खिलाफ काम करने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी. नए आपराधिक कानून लागू होते ही FIR (प्राथमिकी दर्ज होना) से लेकर फैसले तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में विधेयक पर अपनी बात रखते हुए कहा कि नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से तारीख पे तारीख युग का अंत सुनिश्चित होगा और तीन साल में न्याय मिलेगा