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आदित्यनाथ और बालक नाथ में क्या कॉमन, एक दूसरे को क्यों करते हैं पसंद

यूपी में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं. लंबे समय से राजनीति में हैं. केवल प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में उनकी सियासत का डंका बजता रहा है. वो निर्भीक हैं. कड़े प्रशासक हैं, उग्र हिंदूत्व के लिए जाने जाते हैं. नाथ संप्रदाय से आते हैं. वहीं बाबा बालकनाथ भी इसी नाथ संप्रदाय से आते हैं. सियासत में उनका प्रवेश कुछ साल पहले हुआ. अब उनके राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा है.

जानते हैं दोनों किन मामलों में एक जैसे हैं और किन मामलों में अलग

पहनावा
दोनों ही बाबा बगैर सिले हुए भगवा कपड़े पहनते हैं. सादा जीवन जीते हैं. और ये काम वो आज से नहीं कर रहे बल्कि लंबे समय से जी रहे हैं. सार्वजनिक तौर पर दोनों ही संत भगवा वस्त्रों में ही आते हैं. दोनों के भगवा वस्त्र सूती होते हैं. बाबा बालकनाथ भगवा वस्त्रों के साथ सिर पर भगवा रंग का साफा भी पहनते हैं

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सुबह उठना
चूंकि दोनों ही योगी हैं और दोनों का जीवन योगियों जैसा है. लिहाजा दोनों ही सुबह 03 बजे उठ जाते हैं. इसके बाद क्रिया, योगा करते हैं. गायों को खाना खिलाते हैं. इसके बाद उनका पूजा अर्चना का समय शुरू होता है.

खाना
दोनों ही साधारण खाना खाते हैं. मठ और आश्रम में रहने के कारण दोनों के भोजन में लगभग एक जैसी ही स्थिति है. दोनों बगैर ज्यादा मसाले, कम तेल और कम नमक का खाना खाते हैं, इसमें उबली सब्जियां, रोटी, सब्जी, दालें और चावल शामिल रहता है. आमतौर पर दोनों बाहर के समारोहों में भोजन से परहेज करते हैं.

कब लिया संन्यास
बाबा बालकनाथ ने जब संन्यास लेकर आश्रम की ओर कूच किया तो उनकी उम्र केवल 6साल थी. वह जब संन्यास की ओर गए तो इसमें उनके परिवार की भी रजामंदी थी. वह परिवार के इकलौते बेटे थे लेकिन परिवार बहुत धार्मिक था और अक्सर उनके घर पर साधू संतों का सत्कार होता था.

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वहीं योगी आदित्यनाथ ने करीब 21 साल की उम्र में गोरखपुर के गोरखनाथ मठ की ओर कूच किया. हालांकि 18 साल की उम्र में ही उन्हें ऐसे संकेत मिलने लगे कि उन्हें आध्यात्म की ओर जाना है लेकिन वह खुद को रोके रहे. बाद में जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं कि वह 1993 में गोरखपुर में गोरखनाथ मठ के प्रमुख अवैद्यनाथ की ओर पहुंचे और दीक्षा ले ली

इसके बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया. उन्होंने घर से रिश्ता करीब तोड़ दिया, जब वह संन्यास लेने जा रहे थे तो उनके परिवार को भी नहीं मालूम था कि वह ऐसा करने जा रहे हैं. उनके परिवार में 04 भाई और 03 बहनें हैं. हालांकि वह अब भी कभी कभी घर जाते हैं.

सियासी कार्यक्षेत्र
बाबा बालकनाथ अलवर के कोहराना में एक किसान परिवार में पैदा हुए. वह जाति से यादव हैं. उनका सियासी कार्यक्षेत्र यही जिला बना. यहीं से उन्होंने 2019 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता और सांसद बन गए. अभी जब राजस्थान के विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो उनसे हाईकमान ने राजस्थान में अलवर जिले की तिजारा सीट से चुनाव लड़ने को कहा. वह वहां से जीत गए

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धार्मिक कार्यक्षेत्र
बाबा बालकनाथ जब साढ़े 06 साल की उम्र में घर से आध्यात्म के लिए निकले तो उन्हें मत्स्येंद्र महाराज आश्रम में ले जाया गया. वहां वह 1985 से 1991 तक रहे. यहीं उनकी शुरुआती शिक्षा दीक्षा हुई. यहां से फिर वह हरियाणा के महेंद्रगढ़ के मस्तनाथ मठ ले जाए गए. अब यहां उनके गुरु चंदननाथ थे, जो मठ के प्रमुख महंत थे. फिर 29 जुलाई 2016 को उन्हें गुरु चंदननाथ ने अपना उत्तराधिकारी बना दिया. इस समारोह में योगी आदित्यनाथ के साथ बाबा रामदेव ने भी शिरकत की. पहले उनका नाम गुरुमुख रखा गया लेकिन फिर उनके गुरु ने इसे बदलकर बालकनाथ कर दिया.

योगी आदित्यनाथ की पैदाइश पौड़ी में हुई. उनके पिता फारेस्ट विभाग में काम करते थे. उनका मूलनाम अजयमोहन सिंह बिष्ट है. लेकिन जब उन्होंने संन्यास ले लिया तो उनके गुरु गोरखनाथ के मुख्य महंत अवैद्यनाथ ने उनका नामकरण योगी आदित्यनाथ हो गया. वर्ष 2014 में अपने गुरु अवैद्यनाथ के निधन के बाद वह नाथ संप्रदाय के प्रमुख मठ गोरखनाथ धाम मठ के प्रमुख महंत बनाए गए.

नाथ संप्रदाय
दोनों ही हिंदू संत परंपरा के नाथ संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं. अगर योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय के अध्यक्ष और पीठाधीश्वर हैं जो बालकनाथ महेंद्रगढ़ की जिस मस्तनाथ पीठ के प्रमुख महंत हैं, वो इस संप्रदाय की उपाघ्यक्ष पीठ कहलाती है. वैसे वह नाथ संप्रदाय के आठवें संत हैं.

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उम्र
बाबा बालकनाथ की उम्र अभी 39 साल है. उनका जन्म 16 अप्रैल 1984 में हुआ. योगी आदित्यनाथ 51 साल के हैं. उनका जन्म 05 जून 1972 को हुआ

शिक्षा
योगी आदित्यनाथ की शिक्षा एमएससी है, वह मैथ मेटिक्स के स्टूडेंट रहे हैं तो बाबा बालकनाथ की पढा़ई 12वीं तक हुई. वह मस्तनाथ विश्व विद्यालय के कुलपति हैं.

भाषण औऱ कार्यशैली
बाबा बालकनाथ और योगी आदित्यनाथ दोनों ही उग्र तेवरों वाले हिंदुत्व फायरब्रांड नेता के तौर पर जाने जाते हैं. दोनों के भाषण तेजतर्रा होते हैं. दोनों हिंदू राष्ट्रवाद और हिंदू विचारधारा वाली राजनीति से जुड़े रहे हैं. खरा-खरा बोलते हैं. दोनों ही नेता चाहे चुनाव प्रचार हो या फिर संसद में भाषण देना – हमेशा सक्रिय और खासतौर पर भीड़ को खींचने वाले रहे हैं.

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सियासत में करियर
योगी आदित्यनाथ का करियर सियासत में खासा लंबा रहा. वह महज 26 की उम्र में पहली बार 1998 में गोरखपुर से बीजेपी सांसद बने. उसके बाद वह 1999, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा के लिए चुने गए. अपने सियासी करियर में कई बार उनके संबंध अपनी पार्टी से तनावपूर्ण हो गए. हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर उनकी मजबूत पकड़ है.

बाबा बालकनाथ का सियासी करियर कमोवेश छोटा ही है. उनके उग्र हिंदूत्व वाले तेवरों के कारण वह चर्चा में आए और लोकप्रिय होने लगे. संघ से उनका नाता है. उनके सियासत में आने की वजह भी कहीं ना कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही है. उन्होंने पहला चुनाव बीजेपी के टिकट पर 2019 में लोकसभा के लिए लड़ा, जिसे उन्होंने जीता. फिर अब बीजेपी ने उन्हें अलवर की तिजारा सीट से विधानसभा चुनाव में लड़ाया, जिसमें वह विजयी रहे.!

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