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दिल्ली के एयर क्‍वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्‍टम ने दिया संकेत, 18-20 नवंबर के बीच वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ रहने की आशंका

नई दिल्ली. दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने जीआरएपी (GRAP) के चरण IV के तहत प्रतिबंधों को रद्द कर दिया है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता (AQI) का स्तर ‘गंभीर’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में मामूली सुधार हुआ है. यह निर्णय वायु गुणवत्ता आयोग द्वारा लिया गया. आयोग ने यह निगरानी करने के बाद कि पिछले कुछ दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में और गिरावट नहीं आई है, जीआरएपी चरण IV के तहत प्रतिबंध वापस ले लिए. चरण IV के तहत प्रतिबंधों में शहर में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध शामिल है.

इससे पहले नवंबर में, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के ‘गंभीर+’ श्रेणी (एक्यूआई >450) तक गिरने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर आयोग ने दिल्ली के बाहर पंजीकृत भारी डीजल-आधारित वाणिज्यिक वाहनों (एलसीवी) के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालाँकि, GRAP के चरण- I से चरण- III के तहत प्रतिबंध लागू रहेंगे और लागू किए जाएंगे, क्योंकि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वर्तमान वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है. शनिवार को हवा की गुणवत्ता शाम 4 बजे 317 थी, जो शुक्रवार को 405 थी. पड़ोसी गाजियाबाद (274), गुरुग्राम (346), ग्रेटर नोएडा (258), नोएडा (285) और फरीदाबाद (328) में भी आज वायु गुणवत्ता “बहुत खराब” से “गंभीर” दर्ज की गई.

पटाखों और पराली ने बढ़ाई मुसीबत, वायु प्रदूषण से लोगों को मुश्किल
पिछले सप्ताहांत अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता का श्रेय बारिश को दिया गया था. दिवाली की रात जोरदार पटाखे फोड़े जाने और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटना फिर से बढ़ने के कारण अगले दिनों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया. ये प्रभाव प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण हुआ है. इसमें मुख्य रूप से शांत हवाओं और कम तापमान के कारण वायु प्रदूषण बढ़ गया है. इससे वातावरण में प्रदूषकों के फैलाव नहीं हुआ और धूल- धुआं बराबर बना हुआ है. वायु प्रदूषण के कारण लोगों को मुश्किल हो रही है. इनमें खासतौर पर बच्‍चे और बुजुर्ग बीमार पड़ रहे हैं.

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पराली जलाने की घटनाओं ने बिगाड़ी एयर क्‍वालिटी
इस सीजन में पराली जलाने का सबसे अधिक असर 3 नवंबर को 35.43 फीसदी दर्ज किया गया था. आईआईटी कानपुर के एक वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन ने शुक्रवार को वाहनों को पीएम 2.5 के स्तर में प्रमुख योगदानकर्ता बताया, जो 44 फीसदी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है. गौरतलब है कि शून्य और 50 के बीच एक AQI को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब, 401 और 450 के बीच गंभीर और 450 से ऊपर बहुत ज्यादा गंभीर माना जाता है.

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