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ठप पड जाऐगा कल से वाइडन सरकार का सारा सरकारी कामकाज, संकट में आई दुनिया, पर जानिए ऐसा क्यों?

नई दिल्‍ली. दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका में आज रात 12 बजे के बाद शटडाउन लगने वाला है. इमरजेंसी सेवाओं के अलावा तमाम सरकारी कामकाज रुक जाएंगे. अमेरिका की सरकार और उसकी तमाम एजेंसियां काम करना बंद कर देंगी. बीते एक दशक में यह चौथा मौका है जब अमेरिका में शटडाउन लगने जा रहा है. केवल अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया पर इसका असर पड़ना तय है. आज के ग्‍लोबल युग में अमेरिका में सरकारी कामगाज ठप होते ही निवेशकों के मन में इसका नेगेटिव इम्‍पैक्‍ट पड़ सकता है. ऐसे में दुनिया भर के बाजार भी इस यूएस शटडाउन से अछूते नहीं रहेंगे.

अर्थव्‍यवस्‍था की नजर से समझें तो अमेरिका सहित पूरी दुनिया के निवेशकों की भावनाओं पर इस शटडाउन का असर पड़ेगा, जिसके चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट आ सकती है. मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर अमेरिका के इस शटडाउन का क्‍या मतलब है? यूएस में हाल के दिनों में ऐसा क्‍या हुआ है जो सरकार को देश में शटडाउन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है? चलिए हम आपको इसके पीछे की पूरी कहानी समझाते हैं.

क्‍या है यूएस शटडाउन?
अमेरिकी में जब भी सरकार की फंडिंग को लेकर सत्‍ता और विपक्ष के बीच गतिरोध पैदा होता है तो वहां शटउाउन की स्थिति पैदा हो जाती है. शटडाउन होते ही वहां फेडरल सरकार के करीब 40 लाख कर्मचारियों का वेतन अधर में अटक जाता है. नासा जैसी एजेंसियों के शोध प्रभावित होते हैं. नेशनल पार्क बंद कर दिए जाते हैं. केवल इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सरकार की फंडिंग से चलने वाली तमाम चीजें बंद कर दी जाती हैं. हालांकि प्राइवेट सेक्‍टर पर इसका ज्‍यादा असर नहीं पड़ता.

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क्‍यों आई शटडाउन की नौबत?
अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में 29 सितंबर को शटडाउन को टालने के लिए अहम वोटिंग हुई थी. ऐसी उम्मीद थी कि सरकारी कामकाज के खर्चों के लिए फौरी उपाय को मंजूरी मिल सकती थी, जिसे 30 दिनों के लिए टाल दिया गया. हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में फौरी उपाय के फेवर में महज 198 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 232 मेंबर्स ने वोटिंग की. हाउस में फेडरल एजेंसियों के खर्च में कटौती सहित इमिग्रेशन पर रोक जैसे प्रावधानों को विपक्ष की तरफ से पेश किया गया था. हालांकि यह पास नहीं हो सका. इन प्रावधानों के पास होने के बाद भी आगे इसके सीनेट में अटकने का खतरा था, क्योंकि वहां राष्ट्रपति जो बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी बहुमत में है.

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