शहनवाज अली/ भोजपुर – बिहार में फिर से एक युवती का उसके घरवालों ने जीते जी अंतिम संस्कार कर दिया. इसके लिये पहले उसकी अर्थी सजाई गई फिर शव यात्रा निकली और दाह संस्कार किया गया. मामला पूर्णिया का है जहां एक पिता और भाई ने कलेजे पर पत्थर रखकर ये सब किया. घटना प्रेम-प्रसंग से जुड़ा है, जहां शादी से 1 माह पहले लड़की अपने प्रेमी के साथ फरार हो गई.
इससे आक्रोशित परिजनों ने ये फैसला लिया और लड़की का जिन्दा दाह संस्कार कर दिया. पूर्णिया में हुई ये घटना लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है. घरवालों ने लड़की का कुश का पुतला बनाकर जिंदा दाह संस्कार कर दिया और कहा कि घर और समाज के लिए उनकी बेटी और बहन मर चुकी है.
कुछ दिन पहले भी पूर्णियां के ही टीकापट्टी में शादी से 1 दिन पहले स्वीटी अपने प्रेमी के साथ फरार हो गई थी. इससे आक्रोशित परिजनों ने जिंदा उसका दाह संस्कार कर दिया था. एक बार फिर चंपानगर के मसूरिया गांव में ऐसी ही घटना हुई.
यहां प्रियंका नाम की लड़की अपने प्रेमी नीरज के साथ फरार हो गई. इससे आक्रोशित पिता , भाई और परिजनो ने हिंदू रीति रिवाज के साथ प्रियंका की अर्थी सजाई और उस पर उसका कुश का पुतला बनाकर रखा . फिर हिंदू रीति रिवाज के साथ भाई समेत परिजनों ने प्रियंका के पुतले का दाह संस्कार कर दिया.
इस दौरान भाई प्रशांत ने उतरी पहनकर आग दिया. प्रियंका के पिता किशोर सिंह ने कहा कि उसने अपनी बेटी को पढ़ाया लिखाया. अब अच्छे घराने में उनकी शादी तय की थी. लेकिन 27 जून को उनकी बेटी ग्रेजुएशन का मार्कशीट लाने के बहाने से पूर्णिया कॉलेज गई जहां से वह चंपानगर के नीरज के साथ फरार हो गई.
पिता ने कहा कि अगर उन्हें जाना ही था तो पहले बता कर जाती. अब इन लोगों का उसके साथ कोई संबंध नहीं रहा. इसलिए वह पूरे परिवार के साथ मिलकर प्रियंका का जिन्दा अंतिम संस्कार कर रहे हैं .
वही प्रियंका के चाचा ने कहा कि माता पिता अपनी बेटी और बेटा को अपनी जान से अधिक प्यार करता है और उसकी परवरिश करता है लेकिन आज प्रियंका ने जिस तरह से अपने माता-पिता और परिजनों की नाक कटवा दी है, वो लोग अब उससे कोई संबंध नहीं रखना चाहते हैं. इसलिए आज उसकी अर्थी सजाकर हिंदू रीति रिवाज के साथ उसका दाह संस्कार कर दिया. अब आगे श्राद्ध कर्म भी करेंगे.
. मालूम हो कि पूर्णिया में ही 19 जून को टीकापट्टी मे परिजनों ने शादी से 1 दिन पहले अपने प्रेमी के साथ फरार होकर शादी रचाने पर स्वीटी की जिंदा दाह संस्कार कर दिया था. एक बार फिर यही कहानी चंपानगर के मसूरिया में दुहराई गई है.
हालांकि लड़की बालिग है और उन्हें अपनी शादी करने का अधिकार है. लेकिन जिस तरह से लगातार इस तरह की घटनाएं समाज में हो रही है .ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बेटा और बेटी के लिए मां-बाप का अरमान का कोई महत्व नहीं है.