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मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को रांची कोर्ट में 4 जुलाई को पेश होने का आदेश

रांची. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी से जुड़े मामले में अब रांची कोर्ट ने उन्हें 4 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है. कोर्ट की ओर से कांग्रेस नेता को जारी यह आखिरी समन है. ऐसे में अगर वह इस बार भी पेश नहीं होते हैं तो उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.

दरअसल इस मामले में प्रदीप मोदी नामक व्यक्ति ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है, जिस पर रांची के एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट इस केस में राहुल गांधी को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट देने की याचिका को पहले ही खारिज कर दिया था.

‘राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट से मांगा 15 दिन का समय’
ऐसे में राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट से 15 दिन का समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने राहुल गांधी को आखिरी समन जारी करते हुए 4 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है.

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वहीं शिकायतकर्ता प्रदीप मोदी के वकील कुशल अग्रवाल ने अदालत के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि राहुल गांधी शुरू से ही इस मामले में पेशी को लेकर अनिच्छा दिखा रहे हैं, जबकि कोर्ट सशरीर पेशी से छूट की याचिका पहले ही खारिज कर चुकी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा,  ‘राहुल गांधी को यह आखिरी समन है. अगर वह इस बार पेश नहीं होते हैं तो राहुल गांधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है.’

राहुल की किस टिप्पणी पर छिड़ा विवाद
वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोल्लार की एक रैली में नीरव मोदी, ललित मोदी और प्रधानमंत्री का जिक्र करते हुए कहा था, ‘सभी चोरों का सरनेम कैसे मोदी कैसे है?’राहुल गांधी की इसी टिप्पणी को लेकर रांची के रहने वाले प्रदीप मोदी ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है.

इसके अलावा गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने भी राहुल गांधी के खिलाफ इस संबंध में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. उस मामले में सूरत की अदालत ने कांग्रेस नेता को दोषी करार देते हुए दो साल जेल की सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद वह जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार सांसद सदस्यता के लिए भी अयोग्य करार दिए गए थे.

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