नई दिल्ली. कभी भारत में 5000 और 10,000 के नोट लाने का प्रस्ताव था, लेकिन सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई. सरकार ने सोच- विचार कर 2000 के नोट लाने के प्रस्ताव को स्वीकार किया था. दरअसल जब से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2000 के नोट को सर्कुलेशन से वापस लेने की बात कही है, तब से ऐसी तमाम खबरें सामने आई हैं. 2000 का नोट वैध मुद्रा बना रहेगा, लेकिन इसे चलन से हटाया गया है. यह स्वच्छ नोट नीति का हिस्सा है. 2016 में हुई नोट बंदी और 2000 के नोट को लॉन्च करने के पहले 10,000 के नोट को लाने पर चर्चा हुई थी.
खबर के मुताबिक तत्कालीन RBI गवर्नर रघुराम राजन (Dr. Raghuram Rajan) ने सरकार को प्रस्ताव दिया था कि 5000 और 10,000 के नोट को लॉन्च करना चाहिए क्योंकि 1000 रुपए के नोट का मूल्य महंगाई से कम हो गया है. उनका सुझाव था कि बड़ी रकम के नोट से स्थिति में सुधार आएगा. इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया था. पब्लिक अकाउंट कमेटी को मिली जानकारी में बताया गया कि रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2014 में यह सुझाव दिया था. लेकिन इस पर तमाम तर्क हुए और इसके बाद इस प्रस्ताव को अमान्य कर दिया गया.
जालसाजी के डर से बड़े नोटों को चलन में रखना मुश्किल
इसके करीब डेढ़ साल बाद सरकार ने आरबीआई को 2000 रुपए के नोट पेश करने के अपने निर्णय को बताया. खबर में कहा गया है कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार ने 5,000 और 10,000 रुपये के नोट लाने की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया है. बाद में पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि जालसाजी के डर से बड़े नोटों को चलन में रखना मुश्किल है. सितंबर 2015 में उन्होंने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की थी कि अ