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बिहार के सीमांचल में 23 और 24 सितंबर को पहुंच रहे है केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह

पटना. बिहार में एनडीए गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सीमांचल के रास्ते बिहार को साधने की कोशिश में है. इसके लिए देश के गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे हैं. यहां वो 23 सिंतंबर को पूर्णिया और 24 सितंबर को किशनगंज में जनसभा को संबोधित करेंगे. ये वही इलाका है जिसको लेकर बीजेपी के नेता अपने विरोधियों पर हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब इसी रास्ते बीजेपी भी बिहार को साधने की तैयारी कर रही है.Amit Shah will now take a strong entry in Bihar, the strategy of Mission-24  will be ready from Seemanchal - बिहार में अब अमित शाह लेंगे धाकड़ एंट्री,  सीमांचल से तैयार होगी

दरअसल, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज को छोड़ दें तो सीमांचल की ज्यादातर सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा है. इसमें पूर्णिया, कटिहार और अररिया में एनडीए की जीत हुई थी; जबकि किशनगंज में कांग्रेस जीती थी. लेकिन, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व मंत्री शहानवाज हुसैन कहते हैं कि उद्देश्य यह है कि अब बीजेपी को अपने दम पर सीमांचल में साबित करना है कि उसकी भी ताकत है.

बता दें कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को 40 में 39 सीटों पर सफलता मिली थी. इस बार उसी इतिहास को दोहराने के लिए बीजेपी तैयारी कर रही है. सीमांचल के किशनगंज में सार्वाधिक 67 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम वोटर हैं. कटिहार में 38 प्रतिशत, अररिया में 32 और पूर्णिया में 30 प्रतिशत वोटर मुस्लिम हैं. इसको देखते हुए अमित शाह ने सीमांचल को सबसे पहले जनसभा के लिए चुना है ताकि आम लोगों के साथ अल्पसंख्यकों को केंद्र सरकार के विकास के कार्यों की जानकारी दी जा सके.

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amit shah will address the rjd stronghold seemanchal bihar first program  after nitish break in nda sul | RJD के गढ़ सीमांचल में आगामी 23 और 24 को  गरजेंगे अमित शाह, NDAवही, दूसरी ओर विपक्ष यह मानता है अमित शाह ने इस इलाके को इसलिए चुना है ताकि समाज को बांटा जा सके. दरअसल, सीमांचल इलाका तस्करी को लेकर हमेशा बदनाम रहा है. इन क्षेत्रों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर भी बार-बार सवाल उठते रहे हैं. हाल के दिनों में आईएसआई, पीएफआई आदि संगठनों की गतिविधियां सीमांचल के इलाके में दिखती रही हैं.

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बीजेपी सीमांचल में सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या का मुद्दा दमदार तरीके से उठा सकती है. भाजपा इस तरह के मुद्दों को कैस करना भी बखूबी जानती है और शायद भाजपा इसी रास्ते बिहार में सियासी मजबूती हासिल करना चाहती है.

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