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आजाद के समर्थन में आये जम्मू-कश्मीर 50 नेताओं ने दिया पार्टी से इस्तीफा

श्रीनगरः कांग्रेस पार्टी की जम्मू कश्मीर ईकाई में बड़ी टूट पड़ गई है. गुलाम नबी आजाद के समर्थन में राज्य कांग्रेस के 50 नेताओं ने पार्टी से  इस्तीफा दे दिया है. पार्टी से इस्तीफा देने वाले कुछ बड़े नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी, पूर्व मंत्री चौधरी गारुराम, पूर्व मंत्री मनोहर लाल शर्मा, पूर्व विधायक बलवान सिंह, पूर्व डिप्टी स्पीकर गुलाम हैदर अली और युवा नेता नरेंद्र शर्मा शामिल हैं. इससे पहले 26 अगस्त को कांग्रेस नेता जीएम सरूरी, हाजी अब्दुल राशिद, मोहम्मद अमीन भट, गुलजार अहमद वानी, चौधरी मोहम्मद अकरम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री आरएस चिब ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के आठ नेताओं ने आजाद के समर्थन में पार्टी से दिया  इस्तीफा - Republic Bharat

गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस छोड़ दी थी. उन्होंने पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. आजाद अब अपनी नई पार्टी बनाएंगे और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. इसी महीने 16 अगस्त को कांग्रेस ने आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था. लेकिन आजाद ने अपनी नियुक्ति के  2 घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा था कि यह मेरा डिमोशन है.

दरअसल, 73 वर्षीय गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर कांग्रेस की कमान संभालना चाह रहे थे, लेकिन आलाकमान ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को यह जिम्मेदारी दे दी. वानी को गुलाम नबी आजाद का बेहद करीबी बताया जाता है. वह बानिहाल से विधायक रह चुके हैं. बताया जा रहा है कि आजाद को आलाकमान का यह फैसला पसंद नहीं आया था. उन्होंने इस फैसले को अपने करीबी नेताओं को तोड़ने की साजिश की तरह लिया था और आखिरी में कांग्रेस का हाथ छोड़ने का फैसला किया.आज़ाद के समर्थन में जम्‍मू कश्‍मीर के कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी

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गुलाम नबी आजाद उस G-23 समूह का भी हिस्सा थे, जो कांग्रेस में कई बड़े बदलावों की पैरवी करता है. सोनिया गांधी को भेजे अपने 5 पन्नों के त्यागपत्र में आजाद ने यह भी लिखा था कि कांग्रेस की चिंता करने वाले और सुधारों की मांग कर रहे नेताओं को गालियां दी गईं, बदनाम किया गया. उन्होंने कांग्रेस की बर्बादी के लिए सीधे तौर पर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि वह गंभीर व्यक्ति नहीं हैं और चाटुकारों से घिरे हुए हैं. आजाद ने अपने इस्तीफे के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस को उनके दुआओं की नहीं बल्कि कड़वी दवाओं की जरूरत है.

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