कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जब देश के केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा की सीटों को बढ़ाने या इसे खत्म करने की मांग सदन के सामने रखी, तभी से इस सुविधा को लेकर चर्चा जारी है। कई सांसद ने इस कोटे को भेदभावपूर्ण बता रहे हैं तो वहीं, कई अन्य इसे खत्म करने के बजाय सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। जहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इसे लेकर सभी दलों को चर्चा करने का निर्देश दिया है तो वहां केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि सदन मिलकर इस बात का फैसला करेगी कि क्या सांसद कोटे को बढ़ाया जाए या इसे खत्म कर दिया जाए।
KV Admission: 1963 में हुई थी स्थापना
आज आपको देश के लगभग हर शहर में एक केंद्रीय विद्यालय देखने को मिल जाता है। कई एकड़ के कैंपस में फैला यह विद्यालय अलग से ही आम लोगों और छात्रों को लुभाता है। शायद ही कोई ऐसे परिजन हो जो अपने बच्चे को केंद्रीय विद्यालय में न भेजना चाहते हो। दरअसल, केंद्रीय विद्यालय की स्थापना सबसे पहली बार साल 1963 में की गई थी। इसका संचालन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीन केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा किया जाता है। केंद्रीय अधिकारियों, सेना और अर्धसैनिक बलों की सुविधा देने के लिए इनकी स्थापना की गई थी। इसके पीछे का मकसद अधिकारियों के स्थानांतरण का असर उनके बच्चों की पढ़ाई पर न पड़ने देने का था। वर्तमान में देश में करीब 1200 से अधिक केंद्रीय विद्यालय हैं।

KV MP Quota Admission: क्या है केंद्रीय विद्यालय में सांसद कोटा?
साल 1975 में केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों में विशेष योजना के तहत सांसद कोटा का निर्धारण किया था। इसके तहत लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों के लिए सीटों की संख्या का निर्धारण किया गया था। इसके माध्यम से प्रतिनिधि अपने क्षेत्र की लोगों को सुविधा दे सकते थे। सांसद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय विद्यालय संगठन को एक कूपन और छात्र जिसका प्रवेश कराना हो उसकी पूरी जानकारी भेजते हैं। इसके बाद संगठन द्वारा आधिकारिक वेबसाइट पर शॉर्टलिस्ट किए गए छात्र का नाम जारी किया जाता है और इसके बाद एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होती है। हालांकि, ध्यान देने वाली बात है कि यह सुविधा केवल पहली से नौवीं कक्षा तक ही लागू होती है। सांसदों के साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पास भी 450 छात्रों को प्रवेश दिलाने का कोटा दिया गया है।
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KV MP Quota Admission: समय के साथ बढ़ती गई सीटों की संख्या
सांसद कोटा के तहत सीटों की संख्या में समय-समय पर इजाफा भी होता आया है। शुरुआत में एक सांसद केवल दो छात्रों के लिए सिफारिश कर सकता था। साल 2011 में इसे बढ़ाकर पांच, 2012 में छह और 2016 में दस तक कर दिया गया। हालांकि, सांसदों का कहना है कि उनके क्षेत्र में जनसंख्या लाखों में हैं। ऐसे में केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश की सिफारिश के लिए सांसद कोटा के मुकाबले कहीं ज्यादा अनुरोध आते हैं। इस कारण सीटों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए।
कब-कब बढ़ी सांसद कोटे की सीट
वर्ष | सीट |
2011 से पहले | 2 सीट |
2011 के बाद | 5 सीट |
2012 में | 6 सीट |
2016 में | 10 सीट |
KV MP Quota Admission: क्यों हो रहा है कोटे का विरोध?
सांसद कोटे को लेकर सदन दो धरे में बंटा हुआ है। एक धरा इसे खत्म करने की मांग कर रहा है तो वहीं दूसरा सीटों की संख्या को बढ़ाने की। जानकार बताते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा के हर एक सांसद की ओर से 10 सीट पर प्रवेश के आंकड़ों का आकलन करें तो कोटे के तहत प्रवेश की संख्या हजारों में होती है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि कोटे के तहत प्रवेश विद्यालयों में पहले से निर्धारित सीटों से अलग होता है। ऐसे में छात्रों की संख्या अधिक होने से शिक्षक छात्र अनुपात पर भी असर पड़ता है। इसके अलावा लाखों लोगों क प्रतिनिधि की ओर से कुछ छात्रों के प्रवेश के लिए अनुरोध कहीं न कहीं भेदभावपूर्ण भी लगता है। यही कारण है कि इस कोटे का विरोध हो रहा है।
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