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स्वास्थ्य के मोेर्चे पर फूटने वाला है महंगाई का बम,4 दिन बाद बढ़ेगी 800 जरूरी दवाओं की कीमतें

डीजल ,पेट्रोल ,फल ,सब्जी ,कपड़ों की कीमतों मे बेतहासा कीमते बढ़ने के बाद अब 800 जरूरी दवाओं की कीमतें 4 दिन बाद बढ़ने वाली है दरअसल  राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एमपीपीए) ने 800 आवश्यक दवाओं के दाम में 10.76 फीसदी तक के इजाफे की मंजूरी दी है।

10.76 फीसदी बढ़ जाएंगे दाम 
गौरतलब है कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने बीते दिनों दवाओं के दाम बढ़ाने को अनुमति दी है। इसके तहत दर्द निवारक व विभिन्न संक्रमणों और हृदय, किडनी, अस्थमा से संबंधित मरीजों को दी जाने वालीं करीब 800 आवश्यक दवाएं नए वित्त वर्ष में 10.76 फीसदी तक महंगी हो जाएंगी। ये बढ़ी हुई दरें एक अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगी। बता दें कि मरीजों के लिए उपयोगी ये दवाएं राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची (एनएलईएम) के तहत मूल्य नियंत्रण में रखी जाती हैं। एनपीपीए की संयुक्त निदेशक रश्मि तहिलियानी के अनुसार, उद्योग प्रोत्साहन अैर घरेलू व्यापार विभाग के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने सालाना 10.76 फीसदी वृदि्ध की अनुमति दी है। अप्रैल से बढ़ेगी 800 से ज्‍यादा दवाओं की कीमत,10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है  क़ीमत

पहली बार इतनी मूल्य वृद्धि
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सूचीबद्ध दवाओं की मूल्यवृद्धि पर हर वर्ष अनुमति दी जाती है। लेकिन इस बार होने वाली मूल्य वृद्धि अब तक की सबसे अधिक है। विशेषज्ञों ने कहा है कि ऐसा पहली बार है कि सूचीबद्ध दवाओं को सूची से बाहर की दवाओं से ज्यादा महंगा करने की अनुमति दी गई है। अब तक मूल्य वृद्धि की बात करें तो इनमें प्रति वर्ष के हिसाब से एक से दो फीसदी बढ़ोतरी की जाती थी। इससे पहले साल 2019 में एनपीपीए ने दवाओं की कीमतों में दो फीसदी और इसके बाद साल 2020 में दवाओं के दाम में 0.5 फीसदी की वृद्धि करने की अनुमति दी थी।
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इन प्रमुख दवाओं पर असर
जिन दवाओं के दाम में इजाफा होने वाला है उनमें सबसे आम उपयोग में लाई जाने वाली पैरासिटामोल भी शामिल है। इसके अलावा एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड, मेट्रोनिडाजोल, फेनोबार्बिटोने जैसी दवाएं भी इस सूची में हैं। इसके अलावा कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जानें वाली दवाइयों के अलावा कई विटामिन, खून बढ़ाने वाली दवाएं, मिनरल को भी इसमें रखा गया है। कुल मिलाकर 30 श्रेणियों में 376 दवाएं रखी गई हैं। ये बुखार, संक्रमण, त्वचा व हृदय रोग, एनीमिया, किडनी रोगों, डायबिटीज व बीपी की दवाएं हैं। एंटी एलर्जिक, विषरोधी, खून पतला करने, कुष्ठ रोग, टीबी, माइग्रेन, पार्किंसन, डिमेंशिया, साइकोथेरैपी, हार्मोन, उदर रोग की दवाएं भी शामिल हैं।

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कच्चा माल महंगा होने का असर
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में इस्तेामाल होने वाली कुल दवाओं के 16 फीसदी पर इस मूल्य वृद्धि का असर दिखाई देने वाला है। गौरतलब है कि फार्मा सेक्टर ने अपनी व्यथा उजागर करते हुए गैर-सूचीबद्ध दवाओं के दाम में भी 20 फीसदी तक इजाफा करने की मांग की है। उन्होंने अपना तर्क रखते हुए कहा है कि दवाओं के कच्चे माल की कीमत 15 से 150 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। सिरप, ओरल ड्रॉप्स, संक्रमण में उपयोगी प्रोपलीन ग्लाइकोल, ग्लिसरीन, सॉल्वेंट के दाम 250 प्रतिशत तक बढ़े। परिवहन, पैकेजिंग, रखरखाव भी महंगा हुआ है। ऐसे में दवाओं का दाम न बढ़ने से उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। 1 अप्रैल से बढ़ जाएगी दवाओं की कड़वाहट, 800 से ज्यादा मेडिसिन के बढ़ेंगे  दाम Prices of more than 800 medicines will increase from April 1

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