काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद देश के लोग दैनिक जीवन यापन के लिए हर रोज एक नई लड़ाई लड़ रहे हैं। तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। देश में खाने लाले पड़ गए हैं। बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं और वहां के लोगों का जीवन एक संघर्ष बन गया है। अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर अनिश्चितता के बीच, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अफगानों द्वारा दिखाई गई ‘भावना और दृढ़ता’ की सराहना की है।
मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने की अफगानों की प्रशंसा
बाचेलेट ने काबुल की अपनी छोटी यात्रा के दौरान अफगानों की प्रशंसा की, उन्होंने जिसमें फैक्टो अथारिटीज के प्रतिनिधि और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें कीं। बाचेलेट ने कहा, ‘अपने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए और अपने बच्चों के लिए शांतिपूर्ण कानून का पालन करने वाले कानून के वारिस के लिए अफग़न की भावना, दृढ़ता और अटल इच्छा स्पष्ट है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अफगान उनके भविष्य का फैसला करेगा और यह संयुक्त राष्ट्र में और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अफगानिस्तान के सभी लोगों के लिए सभी मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए है।’
बाचेलेट का डर
पिछले साल अगस्त से, तालिबान के अधिग्रहण के बाद, देश में कुछ कठोर परिवर्तन हुए हैं, जो मानवता और सोच दोनों से परे रहे। देश में कब्जे के बाद तालिबान और लोगों के बीच थोड़ी सामान्य हालात से भले ही संघर्ष से संबंधित हताहतों की संख्या में थोड़ी बहुत कमी आई है। लेकिन देश में आर्थिक व अन्य संकट के गहराते बादल को देख बाचेलेट को डर है कि मानवीय और आर्थिक संकट कहीं अधिक लोगों की जान ले सकते हैं।
मिशेल बाचेलेट ने आगे कहा, ‘आज, अफगानिस्तान में तीन में से एक व्यक्ति खाद्य सुरक्षा की आपात स्थिति या संकट के स्तर का सामना कर रहा है और नकदी तक सीमित पहुंच, उच्च स्तर की बेरोजगारी और विस्थापन है। इसके अलावा, दुर्भाग्य से ISKP और अन्य द्वारा हमलों का एक उच्च जोखिम बना हुआ है।’