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चुनावी राज्यों में नहीं चला किसान आंदोलन का दाव, जानें किस पार्टी को हुआ फायदा और किसको नुकसान?

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे दर्शाते हैं कि दिल्ली की सीमाओं पर सालभर से ज्यादा वक्त तक चले किसान आंदोलन का दाव चुनावी राज्यों  में नहीं चला। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में जहां सत्तारूढ़ भाजपा सत्ता बरकरार रखने में सफल रही तो वहीं दूसरी ओर बदलाव की आंधी में पंजाब में आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की। माना जा रहा था कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर चले किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश पश्चिमी एवं किसानों के प्रभाव वाले इलाकों पर असर पड़ेगा। इसे ध्यान में रखते हुए ही समाजवादी पार्टी ने इस बार राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) से गठबंधन किया था ताकि जयंत चौधरी के साथ आने के बाद समाजवादी पार्टी को जाट मतदाताओं का साथ मिल सके। हालांकि, चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि किसानों की नाराजगी को भुनाने के समाजवादी पार्टी गठबंधन तथा कांग्रेस के प्रयास विफल साबित हुए।

चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी दलों ने कोविड-19 महामारी के दौरान गंगा में तैरती लाशों के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया था लेकिन आज घोषित परिणामों से स्पष्ट है कि चुनाव पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचले जाने और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र के इसमें शामिल होने से जुड़़े आरोपों का विषय भी उठाया था लेकिन इस जिले की सीटों पर भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन 2017 की तरह तो नहीं रहा लेकिन राज्य में भाजपा की निर्णायक जीत से साढ़े तीन दशक से ज्यादा वक्त बाद कोई मुख्यमंत्री कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता में आ रहा है। भाजपा उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी सत्ता में वापसी कर रही है। उत्तराखंड में पहली बार ऐसा हुआ है कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी ने फिर से सत्ता में वापसी की है। उत्तराखंड में किसानों के प्रभाव वाली कई सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की।

आंदोलन का पूरा फायदा ‘आप’ को
किसान आंदोलन का प्रभाव पंजाब में दिखा लेकिन इसका पूरा फायदा आम आदमी पार्टी (आप) को हुआ। चुनावी दृष्टि से पंजाब माझा, मालवा और दोआबा यानी तीन हिस्सों में बंटा है। मालवा में 69 सीटें, माझा में 25 और दोआबा में 23 सीटें हैं। सबसे ज्यादा सीटों वाला मालवा क्षेत्र किसानों का गढ़ है। पंजाब के चुनाव में यही इलाका निर्णायक भूमिका निभाता है। विश्लेषकों के अनुसार आम आदमी पार्टी का आधार भी गांवों में ज्यादा है। पिछली बार उसकी 20 सीटों में अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से ही थीं। चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी ने इस बार मालवा सहित सभी इलाकों में शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसा जान पड़ता है कि पार्टी का नारा ‘इक मौका भगवंत मान ते केजरीवाल नूं’ मतदाताओं को भा गया था।

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