पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पुलिस की सक्रियता के कारण राज्य में पहले की तुलना में अपराध में काफी कमी आई है। नीतीश कुमार ने रविवार को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस- 5 स्थित मिथिलेश स्टेडियम में बिहार पुलिस सप्ताह 2022 के समापन एवं वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमलोगों को जब से काम करने का मौक़ा मिला पुलिस बल पर विशेष ध्यान दिया गया। समय-समय पर पुलिस बल की गतिविधियों की समीक्षा कर कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर की गई। पुलिस की सक्रियता के कारण पहले की तुलना में अपराध में काफी कमी आई है, इसके लिए मैं बिहार पुलिस को विशेष तौर पर बधाई देता हूं लेकिन शत-प्रतिशत आदमी ठीक नहीं हो सकता है। समाज में कुछ गड़बड़ करनेवाले मानसिकता के लोग भी होते हैं।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो हर वर्ष देश भर के प्रान्तों की आपराधिक घटनाओं से जुड़ी रिपोर्ट प्रकाशित करता है। वर्ष 2020 में ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक आपराधिक घटनाओं के मामले में बिहार 25वें स्थान पर है। देश में जितने भी प्रांत हैं उनकी तुलना में बिहार आबादी के द्दष्टिकोण से तीसरे नम्बर पर है जबकि क्षेत्रफल में बिहार का स्थान 12वां है। बिहार की तुलना में आबादी का घनत्व देश और दुनिया में इतना अधिक कहीं नहीं है। ऐसी स्थिति में भी अपराध को नियंत्रित रखना बड़ी ख़ुशी की बात है। वर्ष 2021 में हत्या, दंगा, फिरौती के लिए अपहरण की घटनाओं में काफी कमी आई है। पहले फिरौती के लिए किस प्रकार से अपहरण और अपराध की घटनाएं हुआ करती थी, यह सबको मालूम है।
नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2007 में सभी थानों के काम को अनुसंधान और कानून व्यवस्था के रूप में दो भागों में बांटने के लिए कानून बनाया गया। पुलिस बल की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई। अब हर थाना के काम को दो भागों में विभक्त कर दिया गया है इसलिए पुलिस महानिदेशक एवं गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को वह कहेंगे कि ससमय कांड का अनुसंधान होना चाहिए। इस पर विशेष नजर रखें। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से जुड़े मामलों की जांच 60 दिनों के अंदर पूरी कर अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए। वह चाहते हैं कि इस काम में देर न हो। अगर कोई गड़बड़ करता है तो उसे देखना विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच) का दायित्व है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 में बिहार में पुलिस बल की संख्या काफी कम थी जिसको ध्यान में रखते हुए बिहार पहला राज्य था जिसने एसएपी (स्पेशल अग्जिलियरी पुलिस) का गठन किया, इसमें आर्मी के रिटायडर् जवानों को लगाया गया। इसके बाद केंद्र ने भी इसे अपनाया। पुलिस की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। एसएपी के जवानों को भी रिटायर्मेंट तक रखिए। पुलिस बल में एक लाख 42 हजार लोगों को बहाल किया जाना है लेकिन सेलेक्शन का काम जितनी तेजी से होनी चाहिए वह नहीं हो पायी है, इसमें तेजी लायें। उनकी सरकार ने एक लाख की आबादी पर पुलिस बल की संख्या 115 निर्धारित की है, इसको भी बढ़ाना है। वह चाहते हैं कि एक लाख की आबादी पर बिहार में पुलिस की संख्या 165 से 170 हो। कई राज्यों में एक लाख की आबादी पर तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या 190 से 195 है।