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क्या है DeFi और कैसे करती है काम? जानिए इसके बारे में पूरी डिटेल

नई दिल्ली। DeFi एक डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा है, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड होती है, जिसमें यूजर्स को क्रिप्टोकरेंसी में उधार लेने और उधार देने की सुविधा मिलती है। जैसा कि नाम से मालूम होता है कि DeFi सदियों पुरानी सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा का एक नया ऑप्शन है। जो DeFI के बारे में नहीं जानते हैं उनके लिए, सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को बैंकिंग सिस्टम से समझा जा सकता है, जो लोगों को अपनी ही संपत्ति पर स्वामित्व और नियंत्रण से प्रतिबंधित रखता है। इस दौरान पिक्चर में DeFI नजर आती है। क्रिप्टो करेंसी के मामले में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस आपको अपनी संपत्ति पर पूरी तरह का कंट्रोल देता है। मतलब आप किसी भी समय बिना किसी लिमिट और बिना किसी सरकारी संस्था के दखल से उधार लेने, पैसे निकालने, पैसे जमा करने का काम कर सकते हैं।

EasyFi Network के सीओओ और को-फाउंडर अंशुल धर के मुताबिक DeFi के मामले में ध्यान देने की जरूरत है कि इसका एक भी सिंगल आविष्कार मौजूद नहीं है। और ये प्रोडक्ट्स क्रिप्टो में कर्ज और उधार लेने की सुविधा में किसी थर्ड पार्टी के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होती है। DeFi पर ट्रेड के लिए किसी ब्रोकर की जरूरत नहीं होती है।

2. DeFi का महत्व

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1. पहला, DeFi लेनेदेन के लिए किसी भी थर्ड पार्टी या फिर ब्रोकर पर भरोसा नहीं करती है, जो बैंकिंग के पारंपरिक तरीकों से पूरी तरह से अलग है। इसका मतलब है कि DeFi सिस्टम में कोई सेंट्रलाइज्ड अथॉरिटी शामिल नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या DeFi के इस्तेमाल को स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कहा जा सकता है? साधारण शब्दों में कहें, तो DeFi सिस्टम का पूरा लेनदेन एक एल्गोरिथम बेस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट गैरजरूरी कागजी कार्रवाई को पूरी तरह से हटा देते हैं जिसका उपयोग पारंपरिक समझौते में कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए किया जाता है।

2. दूसरा, फंड्स को तुरंत ट्रांसफर किया जा सकेगा। साथ ही इस लेनदेन की दरें मौजूदा दौर में पुराने बैंकिंग सिस्टम की तुलना में कम से कम होती हैं। हालांकि ब्लॉकचेन नेटवर्क के हिसाब से लेनदेन की लागत अलग-अलग होती है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक डिजिटल रुप से वितरित, डिसेंट्रलाइज्ड, सार्वजनिक खाता बही है, जो एक नेटवर्क पर मौजूद है। सीधे शब्दों में कहें तो, यूजर्स की तरफ से DeFi पर किए जाने वाले सभी लेनदेन एक डेटाबेस में स्टोर होते हैं, जिसे हर कोई देख सकता है। इससे लेनदेन में ज्यादा पारदर्शिता रहती है और यह केंद्रीकृत वित्तीय एजेंसियों की किसी भी दखलंदाजी से अलग होता है

3. तीसरा, DeFI लोगों को लेनदेन को गुमनाम रखती है। मतलब इसमें बैंक की तरह केवाईसी की जरूरत नहीं होती है। यह यूजर्स को उनके लेनदेन को लेकर सेंस ऑफ प्राइवेसी और सिक्योरिटी मुहैया करता है। आपको बस एक क्रिप्टो वॉलेट चाहिए और आप डेफी प्लेटफॉर्म का उपयोग शुरू कर सकते हैं।

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क्या कारण है कि DeFi प्लेटफॉर्म साइबर हमलों के प्रति इतने संवेदनशील हैं? डेफिस पर साइबर हमले कैसे होते हैं?

DeFi में हमेशा एक ओपन सोर्स कोड मौजूद रहता है। मतलब, ये प्रोटोकॉल पढ़े जा सकते हैं। इनमें परिवर्तन किया जा सकता है। साथ ही किसी भी मकसद से आवंटित किए जा सकते हैं। लेकिन साइबर क्रिमिनल इसका फायदा उठा सकते हैं और कोड म

DeFi पर ज्यादातर दो प्रकार के साइबर हमले होते हैं।

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1. साल 2021 में ‘Rug Pull’ का मामला सामने आया था, जिसमें 36 फीसदी लोगों को 2.8 बिलियन डॉलर (लगभग 280 करोड़ रुपये) से ज्यादा का नुकसान हुआ था। क्रिप्टो करेंसी इंडस्ट्री में एक Rug Pull एक मैलेशियल प्रैक्टिस है, जहां क्रिप्टो डेवलपर्स एक प्रोजेक्ट को छोड़ देते हैं और निवेशकों के फंड लेकर भाग जाते हैं।

2. हैकर्स ने DeFi प्रोटोकॉल में एक बग की पहचान की है, जो सभी क्रिप्टो वॉलेस तक एक्सेस हासिल कर DeFi से पैसे उड़ा ले जात

इसके अलावा, DeFi प्लेटफॉर्म पर बाहरी खतरों का रिस्क होता है, जो किसी प्रोजेक्ट के बाहर से उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कि एक पहले के बिजनेस पार्टनर, जिसमें डेटा ब्रीच और कई तरह के स्पेस्लाइज्ड हमले (मेलेशियल) या यहां तक ​​कि तकनीकी कमियां शामिल हैं, जिससे फंड्स तक हैकर्स की पहुंच हो जाती है।

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DeFi की सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है?

किसी भी तरह के DeFi का इस्तेमाल करने से पहले यूजर को हमेशा सुनिश्चित करना चाहिए कि DeFi जिस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर रही है, वो पूरी तरह से टेस्टेड है या नहीं साथ ही एक प्रतिष्ठित ऑडिटेड एजेंसी की तफ से ऑडिट की गयी है या नहीं। सिक्योरिटी हमेशा से एक अहम मुद्दा रहा है। ऐस में हमेशा ध्यान देना जाना चाहिए कि आपके बैंकिंग पासवर्ड की तरह आपके क्रिप्टो वॉलेट में आपकी क्रिप्टो करेंसी स्टोर है, जिसे एक पर्सनल की यानी कुंजी कहा जाता है, जो आपके पासकोड की तरह होती है। ऐसे में अपना क्रिप्टो वॉलेट पासकोड किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।

यूजर्स को हमेशा बड़े घाटे से बचने के लिए ऐसी जगह पैसा नहीं निवेश करना चाहिए, जो एक दिन में अचानाक बड़े रिटर्न देते हैं, ऐसी जगह निवेश के ज्यादा खतरे होते हैं। यूजर्स को संभावित हनीपोट्स से दूर रहने की सलाह दी जाती है। जो शुरुआती तौर पर Rug Pull की तरफ संकेत करते हैं। इसके अलावा यूजर्स को किसी भी स्कैम एडवर्टाइज से दूर रहना चाहिए, जो निश्चित ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल होने वाली संपत्ति को ट्रांसफर करने का मौका देते हैं।

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कैसे DeFi प्लेटफॉर्म्स को सुरक्षित और भरोसेमंद माना जा सकता है?

सिक्योरिटी एक बड़ी चिंता का मुद्दा है। ऐसे में यूजर्स को हमेशा अपनी तरह से जांच करनी चाहिए कि क्या प्रोटोकॉल का लेखा-जोखा सही तरह से जांचा परखा गया है। यूजर्स को हमेशा बेसिक सिक्योरिटी चेक्स को देख लेना चाहिए। कई फ्रॉड में देखा गया है कि नए संभावित सिक्योरिटी चेक्स मौजूद रहे हैं, जो सुरक्षा को बढ़ा भी सकते हैं और नहीं भी और इसे पूरी तरह से देखा जाना चाहिए। टू फैक्टर अथेटिकेशन या फिर दूसरे अथेंटिकेशन डेफी प्रोटोकॉल की ओरे से दी जाने वाली सुरक्षा का निर्धारण करते समय एक अच्छी शुरुआत है।

कैसे EasyFi की तरफ से DeFi प्रोटोकॉल पर मौजूद यूजर्स को सिक्योरिटी और सेफ्टी सुनिश्चित की जा रही है?

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EasyFi नेटवर्क अपने यूजर्स के फंड को किसी बाहरी या आंतरिक खतरे से बचाने के लिए प्रोटोकॉल पर एक शानदार सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है। हमने एक लीडिंग साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉकचेन और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सिक्योरिटी फर्म हैलबोर्न सिक्योरिटी से स्मार्ट ऑडिट, सिक्योरिटी प्रैक्टिस के लिए फुल टाइम कंसल्टेशन हासिल किया है। इसलिए उनका काम केवल स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ऑडिट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रोटोकॉल और इसके यूजर को उच्च स्तर तक सुरक्षित रखने के लिए हमें नियमित रूप से नई बेस्ट प्रैक्टिस पर सलाह देते हैं।

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