श्रीनगर: 5 अगस्त, 2019 तक जो कश्मीर में पत्थरबाजी करते थे वो अब पत्थरबाज नहीं हैं। जो लड़के और लड़कियां हर घटना पर हाथों में पत्थर लिये सड़कों पर निकल पड़ते थे वा ेअब खेल को अपना लक्ष्य बना रहे हैं। इस सबका श्रेय जाता है जम्मू कश्मीर की खेल नीति को।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया और जम्मू कश्मीर को यूटी का दर्जा दे दिया। हिमालयन रीजन में इससे बहुत बढ़ा बदलाव देखेने को मिला है। सरकार युवाओं को सही रासते पर लाने के लिए और उनकी जिन्दगी को सकारात्मक नजरिया देने ेहेतु उन्हें खेलों की तरफ अग्रसर कर रही है।
उदाहरण के तौर पर जम्मू कश्मीर के आरिफ खानको लेते हैं। बीजिंग में हो रहे ओलंपिक खेलों की ओपनिंग सेरेमनी में आरिफ देश का झंडा लिए शामिल हुये। 31 वर्षीय लोन अकेले ऐसे भारतीय हैं जिन्होंने खेलों में एक ही आडिशन में दो कार्यक्रमों को क्वालीफाई किया है।
बारामूला में जन्मे हैं आरिफ
उत्तरी कश्मीर के बारामूला में पैदा हुये हैं आरिफ खान। उन्होंने स्कीइंग को काफी पहले ही जिन्दगी का हिस्सा बना लिया था। 12 वर्ष की आयु में आरिफ ने पहला नेशनल भी जीता। 2011 में साउथ एश्यिनविंटर गेम्स में आरिफ ने सलेलम और जायंट सलेलम में दो स्वर्ण पदक जीते। इससे पहले भारत को विटरेन एथलीट शिवा केशवन जैसे खिलाड़ी के लिए जाना जाता था पर अब इस श्रेणी में आरिफ का नाम भी शामिल हो गया है।
नई खेल नीति
जम्मू कश्मीर सरकार ने युवाओं को खेल के प्रति अग्रसर करने के लिए नई खेल नीति अपनाई है। इसे जेएंडके स्पोटर्स पॉलसी 2022 का नाम दिया गया है। संघ के एलजी मनोज सिन्हा ने इसे मंजूरी दी है। इसमें खेल से जुड़ी मूल सुविधाओं को बढ़ावा देना और खिलाड़ियों को उनके क्षेत्र में प्रोमोट करना शमिल है। यहां तक कि जम्मू कश्मीर खेल पुरषोतम अवार्ड भी शुरू किया गया है। विश्व स्तर पर मेडल निकालने वाले खिलाड़ियों को एक लाख से लेकर 1 करोड़ तक के नाम की राशि दी जाएगी।