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राउज एवेन्यू कोर्ट ने खारिज कर दी मुलायम सिंह यादव से जुड़े मामले की सुनवाई वाली याचिका, जानिए क्या है पूरा मामला?

नई दिल्ली। मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में करवाने के लिए दायर की गई याचिका को राउज एवेन्यू कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले में प्रोटेस्ट पिटीशन पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में कोर्ट अभी मामले के स्थानांतरण पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। राउज एवेन्यू कोर्ट की महानगर दंडाधिकारी अंबिका सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए 27 जनवरी को दिए अपने फैसले में याचिका को खारिज कर दिया।

मामले में दोनों पक्षों ने 24 जनवरी को अपना पक्ष रखा था। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कोर्ट से अपील की थी कि अपराध के समय मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के कई सदस्य अलग-अलग सदनों के सदस्य थे। ऐसे में उनके खिलाफ चल रहे मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में सुना जाना चाहिए ताकि मामले में रोजाना सुनवाई हो सके। कोर्ट ने कहा कि मामले की मौजूदा स्थिति को देखते हुए स्थानांतरण नहीं किया जा सकता और याचिका को खारिज कर दिया।

मालूम हो कि समाजवादी पार्टी के संरक्षक एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की आय से अधिक संपत्ति के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) की रिपोर्ट के खिलाफ राउज एवेन्यू कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की गई थी। महानगर दंडाधिकारी अंबिका सिंह की अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए सीबीआइ से अपना पक्ष दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में सुनवाई 24 जनवरी को हुई। एडवोकेट विश्वनाथ चतुर्वेदी ने साल 2012 में सीबीआई द्वारा दाखिल की गई जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए इस मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई की मांग की थी।

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जिला जज सुधीर कुमार जैन की अदालत ने याचिका ठुकराते हुए कहा था कि यदि संबंधित अदालत को लगता है कि यह मामला किसी एमपी या एमएलए से जुड़ा है तो वह उसे स्थानांतरित कर सकता है। इसके बाद ही महानगर दंडाधिकारी अंबिका सिंह की अदालत में इस संबंध में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की गई थी। मामले में सुनवाई करते हुए दंडाधिकारी ने सीबीआइ को निर्देशित किया कि जांच रिपोर्ट के समय क्या संभावित आरोपित मुलायम सिंह यादव एमपी या एमएलए थे।

सीबीआइ रिपोर्ट के बाद ही कोर्ट इस मामले को एमपी एमएलए कोर्ट को स्थानांतरित करने का निर्णय लेगी। याचिकाकर्ता ने मामले में वर्ष 2012 को दाखिल की गई सीबीआई रिपोर्ट पर संज्ञान लेने का भी अनुरोध किया है। सभी पक्षों को सुनने और रिपोर्ट के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने फैसले में इस याचिका को ही खारिज कर दिया।

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