पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस बेहद सक्रिय है. पार्टी बंगाल के बाहर अपने विस्तार को लेकर बेहद आक्रामक है. ऐसे में ममता बनर्जी कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में शामिल करा रही हैं. दो दिन पहले टीएमसी ने मेघालय में कांग्रेस के 12 विधायकों को तोड़ लिया और राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन गई है. कांग्रेस, टीएमसी के इस रवैये से नाखुश तो है, लेकिन पार्टी अभी बैकफुट पर दिख रही है, क्योंकि अगले हफ्ते से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है. पार्टी की कोशिश सदन में विपक्षी एकता बनाए रखने की है. गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में कांग्रेस नेताओं की रणनीतिक बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनकी पार्टी विपक्षी एकता की पक्षधर है.
मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान उस समय आया है, जब टीएमसी ने मेघालय में कांग्रेस के 12 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. इनमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी शामिल हैं, जिनके साथ 12 विधायकों ने पाला बदला. टीएमसी का ये कदम एक तरीके कांग्रेस के खिलाफ तख्तापलट माना जा रहा है.
मेघालय के विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर एम. लिंग्दोह को बुधवार की सुबह 10 बजे के करीब सौंप दिया है और उन्हें पार्टी बदलने की जानकारी दी.इससे पहले टीएमसी ने कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद, अशोक तंवर और जेडीयू से निष्कासित पवन वर्मा को पार्टी ज्वॉइन कराई है.
इन नेताओं ने दिल्ली में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ली. टीएमसी के विस्तार के प्रयासों में लगीं ममता बनर्जी के निशाने पर मेघालय सबसे ताजा है, जहां पार्टी ने विस्तार के क्रम में कांग्रेस नेताओं को तोड़ा है. इससे पहले पार्टी ने असम, गोवा, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा के नेताओं को तोड़ा था. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा ज्यादा है कि ममता बनर्जी कांग्रेस को ध्वस्त करना अपना विस्तार चाहती हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच बेहद करीबी संबंध माना जाता रहा है, लेकिन हाल ही में दिल्ली दौरे पर आईं ममता बनर्जी से जब सोनिया गांधी से मुलाकात के बारे में पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि ‘हर बार सोनिया गांधी से क्यों मिलना. ये कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है